Upkar ka Badla Kahani in Hindi – उपकार का बदला कहानी

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Upkar ka Badla Kahani in Hindi
Upkar ka Badla Kahani in Hindi

दोस्तों अक्सर ही हमें किसी न किसी कार्य में किसी दुसरे व्यक्ति की मदद की आवश्कता पड़ती है Upkar ka Badla Kahani in Hindi और जब हम किसी विपत्ति से घिरे हो और हमें कोई भी उपाय न सूझ रहा हो और कोई यदि हमारी मदद करता है तो हमे उस व्यक्ति का उपकार कभी नही भूलना चाहिए। आज ही हमारी कहानी भी कुछ यही है Upkar ka Badla Kahani in Hindi तो चलिए कहानी के बारे में विस्तार से जान लेते है।

Upkar ka Badla Kahani in Hindi – उपकार का बदला कहानी

एक घने जंगल में एक तालाब किनारे एक गुफा में जंगल का राजा सिंह (शेर) रहता था। वह तालाब के किनारे पानी पीने आने वाले जानवरों का शिकार करता था। न जाने कैसे एक बार सिंह के पैर में एक मोटा और बड़ा काँटा चुभ गया । सिंह ने दाँत से बहुत नोचा; किंतु काँटा निकला नहीं ।

अब सिंह चलने में असमर्थ था और लँगड़ाता हुआ चल रहा था उसने अपनी तरफ से भरसक कोशिश कर ली थी कि वह स्वयं उस कांटे को निकाल सके, लेकिन ऐसा संभव नही हो रहा था।

सिंह की गुफा से कुछ दूर एक गडरिया गाय-भैस चरा रहा था सिंह ने उससे मदद लेने की सोची और लंगड़ाते हुए गड़रिये के पास पहुँचा। Upkar ka Badla Kahani in Hindi अपने पास सिंह को आते देख गड़रिया बहुत डर गया उसकी साँस फूलने लगी थी वह बेहद ही डर गया था। लेकिन वह जानता था कि भागने से सिंह दो ही छलाँग में उसे पकड़ लेगा ।

गडरिये ने इधर-उधर नजर दौडाई आस-पास में कोई पेड़ भी नहीं था कि गड़रिया उस पर चढ़ जाय । दूसरा कोई उपाय न देखकर गड़रिया वहीं चुपचाप बैठ गया। सिंह गडरिये को देख न गरजा, न गुर्राया । वह गड़रिये के सामने आकर बैठ गया और अपना पैर उसने गड़रिये के आगे कर दिया ।

पहले तो सिंह को ऐसा करते देख गडरिये को बड़ा आश्चर्य हुआ है कि इस सिंह को क्या हुआ यह ऐसे क्यों कर रहा है? लेकिन जब गडरिये की नजर सिंह के जख्मी पैर पर पड़ी तो उसने देखा उसके पैर में एक मोटा काँटा लगा हुआ है जिसके कारण जख्म से खून भी बह रहा है

गड़रिये ने समझ लिया कि सिंह उसकी सहायता चाहता है। उसने सिंह के पैर से काँटा निकाल दिया। पैर से काँटा निकलते ही सिंह को आराम मिला और सिंह गडरिये से बिना कुछ कहे जैसे आया था वैसे ही जंगल की ओर चला गया।

कुछ दिनों बाद राजा के यहाँ चोरी हुई। कुछ लोग जो उस गडरिये से बैर रखते थे उन्होंने गडरिये से शत्रुता के कारण झूठ-मूठ यह बात राजा से कह दी कि गड़रिया चोर है। उसी ने राजाके यहाँ चोरी की है। Upkar ka Badla Kahani in Hindi

इतना सुनकर राजा ने तुरंत ही उस गडरिये को पकड़कर राजदरबार में लाने का आदेश दे दिया। गड़रिए को राजा के सैनिक पकड़कर राज दरबार में ले आये। राजा ने गडरिये के घर में चोरी हुए सामान को खोजने का भी आदेश दिया। जब गड़रिए के घर में चोरी की कोई वस्तु नहीं निकली तो लोगो ने राजा से कहा-‘जरुर इसने चारी का सामान कहीं दुसरे स्थान पर छुपाकर रख दिया है।

कड़ी मशक्कत के बाद भी जब चोरी का सामान नही मिला तो गड़रिये को जीवित सिंह के सामने छोड़ने की आज्ञा दे दी गयी। संयोग से गड़रिये को मारने के लिये वही सिंह पकड़ा गया जिसके पैर का काँटा गड़रिये ने निकाला था।

जब गड़रिए को सिंह के सामने छोड़ा गया, सिंह ने उसे पहचान लिया। वह गड़रिये पर हमला करने को छोडकर उस के पास आकर बैठ गया और कुत्ते के समान पूँछ हिलाने लगा। राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ। पूछने पर जब उन्हें उपकारी गड़रिये के साथ सिंह की कृतज्ञता का हाल ज्ञात हुआ, तब उन्होंने गड़रिये को छोड़ दिया। सिंह – जैसा भयानक पशु भी अपने पर उपकार करने वाले का उपकार नहीं भूलता । Upkar ka Badla Kahani in Hindi मनुष्य होकर जो किसी का उपकार भूल जाते हैं , वे तो पशु से भी गये – बीते हैं ।

 

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