भारत भूमि में एक से बढकर एक बुद्धिमान, शूरवीर और बहादुर लोगो का जन्म हुआ है यहाँ एक से बढकर एक बुद्धिमान, तेजस्वी और बहादुर लोग हुए है। जिस प्रकार से महान सम्राट अकबर के दरबार में बीरबल हुआ करते थे उसी प्रकार से राजा कृष्णदेव राय के दरबार में भी एक बुद्धिमान व्यक्ति हुआ करते थे जिसे लोग तेनालीराम के नाम से जानते थे। बीरबल की ही भांति उनके पास भी हर सवाल का जवाब हुआ करता था। तो आज मैं आपको Tenalirama Story in Hindi – तेनालीराम की बुद्धिमानी की अनोखी कहानी के बारे में बात करने वाला हूँ तो चलिए बढ़ते है कहानी की तरफ |
Tenalirama Story in Hindi
तेनालीराम की बुद्धिमानी की अनोखी कहानी
एक दिन की बात है राजा कृष्णदेव राय का राज दरबार लगा हुआ था। राजा अपने मंत्रीगण के साथ राज-काज के बारे में बाते कर रहे थे। तभी राज दरबार में एक व्यापारी आया, उसके हाथ में एक लोहे का बक्सा था। उस व्यापारी ने राजा कृष्णदेव राय के सामने सिर झुका कर प्रणाम किया और बोला “महाराज की जय हो ! महाराज की आज्ञा हो तो मैं आपसे कुछ निवेदन करना चाहता हूं।
राजा कृष्णदेव राय बोले “आज्ञा है बताओ क्या कहना चाहते हो?”
व्यापारी बोला ” महाराज ! आज मैं आप के राज दरबार में मदद मांगने आया हूं। मैं पेशे से एक व्यापारी हूं और मैं अपने माता पिता को तीर्थ यात्रा का सुख देना चाहता हूं, किंतु मैं इस बात से चिंतित हूं कि मैं अपने धन को किस के भरोसे छोड़ कर अपने माता पिता को तीर्थ यात्रा कराऊँ।
यह धन मुझे मेरे पूर्वजों से मिला है और मैंने अपने पूर्वजों के धन से ही व्यापार को आगे बढ़ाया है, यह मेरी जमा पूंजी है। अतः मैं आपसे निवेदन करना चाहता हूं कि जब तक मैं तीर्थ यात्रा से वापस लौट कर ना आऊं। तब तक आप मेरी इस जमा पूंजी को अपनी निगरानी में संभाल कर रखें। मैं बड़ी आशा लेकर आपके पास आया हूं मैं जिंदगी भर आपका आभारी रहूंगा। Tenalirama Story in Hindi
राजा कृष्णदेव राय उस व्यापारी के आग्रह को स्वीकार कर लेते हैं और उस व्यापारी को आश्वासन देते हैं कि तुम्हारा धन हमारे पास सुरक्षित रहेगा। तुम्हारी यात्रा सुखमय और मंगलमय हो और अपने सैनिकों को आदेश दिया कि इस बक्से को ले जाकर राज खजाने में संभाल कर रख दो।
यह सुनकर एक मंत्री बोला “महाराज ! माफ कीजिएगा लेकिन राज खजाने में केवल राज भंडार ही रखा जाता है यह नियम के विरुद्ध है। अतः आपसे निवेदन है कि इस बक्से को आप अपने किसी भरोसेमंद व्यक्ति को रखने के लिए दें जो बुद्धिमान और आपका भरोसेमंद हो अर्थात आप इसे तेनालीराम को दे सकते हैं।”
इस बात पर कृष्णदेवराय बोले “हां यह उचित विचार है और तेनालीराम से बोले ” तेनालीराम! क्या तुम इस बक्से को संभाल कर रखोगे?”
तेनालीराम ने उत्तर दिया जैसा आपकी आज्ञा महाराज और यह कहकर तेनालीराम उस बक्से को लेकर अपने घर चल दिया और घर पहुंच कर एक उचित स्थान पर उस बक्से को ले जाकर रख दिया।
कुछ महीनों बाद वही व्यापारी राज दरबार में वापस आया और राजा कृष्णदेव राय को प्रणाम किया और बोला “महाराज की जय हो ! महाराज मेरी तीर्थ यात्रा संपन्न हुई और अब मैं आपसे अपना बक्सा वापस लेने आया हूं।
महाराज बोले तेनालीराम जाओ जाकर इनका बक्सा इनको वापस कर दो। Tenalirama Story in Hindi तेनालीराम बोला “जी महाराज” तेनालीराम अपने घर जाकर जब उस लोहे के बक्से को उठाता है तो बड़ा आश्चर्य होता है कि वह लोहे का बक्सा आज हल्का प्रतीत हो रहा है।
कुछ देर विचार विमर्श करने के बाद तेनालीराम समझ गए कि वह व्यापारी महाराज और तेनालीराम को धोखा देने आया था। अब तेनालीराम ने बक्से को बहुत ध्यान से देखा और सब समझ गए और वापस दरबार गए और बोले।
महाराज इस व्यापारी के पूर्वज मेरे घर में आए हैं और वह मुझे उस बक्से को यहां दरबार में लाने नहीं दे रहे हैं। तेनालीराम की बात सुनकर व्यापारी बोला “क्या ? मेरे पूर्वज नहीं नहीं यह नहीं हो सकता।” ऐ ढोंगी सच-सच बता मेरा धन कहां है ? महाराज यह झूठ बोल रहा है, यह तेनाली चालाकी से मेरा धन हथियाना चाहता है।
उस व्यापारी की बात सुनकर दरबार के बाकी मंत्री भी एक स्वर में बोल पड़े ” जी हां महाराज ! मुझे भी यही लगता है कि यह तेनालीराम झूठ बोल रहा है। यह सब सुनकर राजा कृष्णदेव राय बोले तेनाली अगर तुम झूठ बोल रहे हो और यह साबित हो जाता है तो तुम्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।
तेनालीराम ने बड़े ही शांत स्वर में बोला “जी महाराज ! मुझे मंजूर है आप स्वयं मेरे साथ मेरे घर चलें।” तेनाली की बात सुनकर राजा, व्यापारी, तेनालीराम और बाकी दरबारी सभी तेनालीराम के घर पहुंचे वहां जाकर राजा ने देखा Tenalirama Story in Hindi कि बक्से में चीटियां लग रही थी।
राजा ने आदेश दिया कि बक्सा खोला जाए और आदेश पाकर बक्सा खोला गया तो बक्से के अंदर का दृश्य देखकर सभी आश्चर्यचकित हो गए। उस बक्से में शक्कर थी। यह देखकर राजा गुस्से से लाल हो गए और अपने सैनिको को आदेश दिया कि झूठ बोलने और तेनालीराम पर झूठा आरोप लगाने के अपराध में इसे बंदी बना लिया जाए यह सुनते ही सैनिकों ने उस व्यापारी को पकड़ लिया।
स्वयं को सजा मिलते देख व्यापारी ने राजा से माफी मांगनी शुरू कर दी और बताया “महाराज ! आप के दरबार के दो मंत्रियों ने मुझे यह कार्य करने के लिए विवश किया था मेरी इसमें कोई गलती नहीं है।”
राजा ने आदेश दिया इसके साथ उन दोनों मंत्रियों को भी बंदी बना लिया जाए और कारागृह में डाल दिया जाए।
यह सुनकर तीनों दोषी माफी मांगने लगे और बोले “हमें माफ कर दीजिए महाराज हम अब कोई गलती नहीं करेंगे लेकिन उन्हें कारागृह में डाल दिया गया क्योंकि दोष साबित हो चुका था।”
इसके बाद राजा ने तेनाली से पूछा तेनाली तुम्हें कैसे पता चला कि बक्से में शक्कर है। Tenalirama Story in Hindi
तेनालीराम ने उत्तर दिया “महाराज ! पूर्वज की बात कहकर मैं आपको सच दिखाना चाहता था। महाराज हमेशा ही उस बक्से के आसपास ढेरों चीटियां घूमती रहती थी, अगर उस बक्से में बहुमूल्य कीमती रत्न और धन होता तो चीटियां वहां नहीं जाती और जैसे-जैसे चीटियों की संख्या बढ़ती रही तो धीरे धीरे बक्से का वजन भी कम हो गया।
जिस कारण मुझे यह समझने में समय नहीं लगा कि इस बक्से में शक्कर या कोई मीठी वस्तु होगी इसलिए ही मैंने पूर्वजों की बात कहकर आपको साक्ष्य दिखाना चाहा। तेनाली की बात सुनकर राजा बोले “तेनालीराम तुम्हारी बुद्धिमानी से मैं अत्यंत प्रसन्न हूं लो यह मोतियों की माला स्वीकार करो।”
इसके उत्तर में तेनाली ने बस यही उत्तर दिया “धन्यवाद महाराज !”
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