Tenaliram ki Kahani in Hindi – तेनालीराम की चतुराई की कहानी

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Tenaliram ki Kahani in Hindi 
Tenaliram ki Kahani in Hindi 

दोस्तों हम सभी ने बचपन में तेनालीराम के किस्से कहानियो के बारे में अक्सर सुना है तेनालीराम बहुत ही बुद्धिमान और चतुर थे वह हमेशा ही अपनी चतुराई की मदद से हर समस्या का समाधान निकाल लेते थेTenaliram ki Kahani in Hindi 

आज की हमारी कहानी भी तेनालीराम और रजा कृष्णदेवराय पर आधारित है कहानी में कुछ ऐसा होता है कि राजा को तेनालीराम एक गोबर से भरे गड्ढे में गिरा देते है लेकिन तेनालीराम ने ऐसा क्यों किया चलिए कहानी के माध्यम से जानते हैTenaliram ki Kahani in Hindi – तेनालीराम की चतुराई की कहानी 

Tenaliram ki Kahani in Hindi – तेनालीराम की कहानी

 एक बार राजा कृष्णदेव राय ने तेनालीराम से कहा, “तेनालीराम ! क्यों न आज सैर के लिए निकला जाए?”

“ज़रूर हजूर ! तेनालीराम ने कहा” Tenaliram ki Kahani in Hindi 

चलते-चलते रास्ते में गोबर पड़ा था। तेनालीराम की नजर उस पर नहीं पड़ी और अनजाने में उसके पैर का अंगूठा गोबर में धँस गया। वह पास बहती नहर से पैर को अच्छी तरह धो आए।

राजा बोले, “तेनालीराम! इस तरह पानी में पैर धोने से अंगूठे में लगी गंदगी साफ़ नहीं होने वाली। इससे तो बेहतर होगा इसे काटकर ही फेंक दें।” महाराज!

“मैंने अंगूठा कई बार पानी में धोया है, जिससे सारी गंदगी साफ़ हो गई है।”

इस पर राजा ने कहा, “तेनालीराम तुम्हारे गंदे अंगूठे के स्पर्श से मेरे दरबार का सुंदर गलीचा खराब हो जाएगा।”

तेनालीराम को राजा की यह बात बहुत बुरी लगी। वह कई दिनों तक दरबार नहीं आए। उन्होंने राजा को सबक सिखाने का निश्चय किया, और एक गड्ढे में गोवर भरवाकर ऊपर से घास बिछवा दी, फिर उसके ऊपर गुलाब के पौधे लगवा दिए।

कुछ दिनों में गोबर की खाद पाकर गुलाब के सुंदर सुंदर फूल खिल आए। जब वह स्थान गुलाब से खिले फूलों से भर गया, तब तेनालीराम दरबार में लौट आए। Tenaliram ki Kahani in Hindi 

महाराज ने तेनालीराम से पूछा, “तुम इतने दिन तक दरबार में क्यों उपस्थित नहीं हुए?”

तेनालीराम ने विनम्रभाव से राजा से कहा, “महाराज । ” मैंने सुंदर सुंदर गुलाब के फूलों की छोटी-सी फुलवारी लगाई है। उसकी खुशबू से आस-पास का सारा वातावरण महक रहा है ज़रा वहाँ चलकर देखिए।

“ज़रूर कल सुबह सैर के समय हम तुम्हारे साथ फुलवारी देखने चलेंगे।” महाराज बोले।

अगली सुबह फूलों को देखने की चाह में महाराज तेनालीराम के साथ सैर पर निकलें। फुलवारी में खिले सुंदर फूल देखकर वह बहुत प्रसन्न हुए फूलों की भीनी-भीनी खुशबू से आकर्षित होकर राजा फूलों को छूने के लिए आगे बढ़े। जैसे ही राजा फूलों के नजदीक पहुँचे वह नीचे गोबर भरे गड्डे में जा गिरे।

Tenaliram ki Kahani in Hindi गरदन तक उनका शरीर गोबर में धँस गया। तेनालीराम ने बनावटी गंभीरता दिखाते हुए कहा, “ये क्या महाराज! आपके तो गदरन से नीचे के सभी अंग गंदे हो गए हैं, पर इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। मैं अभी तलवार लाता हूँ। गरदन को अलग कर देता हूँ और गरदन के नीचे का भाग गोबर में ही पड़ा रहने देता हूँ।”

यह सुनकर राजा क्रोध से बोले, “तुम्हारी यह हिम्मत तुम मेरा सिर काटना चाहते हो?”

तेनालीराम ने उसी गंभीरता से जवाब दिया, “महाराज, गंदगी तो किसी भी प्रकार साफ़ नहीं की जा सकती। इसलिए गरदन को काटकर गोबर से सने शरीर को अलग करना ही उचित होगा।”

राजा समझ गए, “तेनालीराम ने यह सब मुझे सबक सिखाने के लिए ही योजना बनाई थी। “

राजा ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा, “मैं अपनी गलती पर शर्मिंदा हूँ। मुझे तुम्हारे साथ ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए था।” जल्दी मुझे इस गड्ढे से निकालो। Tenaliram ki Kahani in Hindi किसी ने मुझे इस हालत में देख लिया तो मेरी हँसी उड़ेगी। तेनालीराम ने अपनी बनावटी गंभीरता को उतारते हुए कहा, “महाराज मुझे इस बर्ताव के लिए क्षमा करें। यह कहकर उसने राजा को गड्ढे से निकाल लिया। तेनालीराम की चतुराई पर प्रसन्न होकर राजा ने उसे दरबार में सबके सामने सम्मानित किया।

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