Shikari or Hiran ki Kahani शिकारी ने क्यों दिया हिरन को जीवनदान?

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Shikari or Hiran ki Kahani
Shikari or Hiran ki Kahani

कैसे हो दोस्तों आज मैं आपके लिए एक और नई और रोचक कहानी लेकर आया हूँ जिसका शीर्षक है Shikari or Hiran ki Kahani शिकारी ने क्यों दिया हिरन को जीवनदान? कहानी में आज मैं आपको बताऊंगा कैसे एक शिकारी जो शिकार करने जंगल आया था लेकिन फिर भी उसने हाथ आये शिकार हिरन को प्राण दान दे दिया। चलिए कहानी को विस्तार से जानते है:- 

Shikari or Hiran ki Kahani शिकारी ने क्यों दिया हिरन को जीवनदान?

पुराण में एक बहुत सुन्दर कथा आती है। एक जंगल में एक तालाब था। उस जंगल के पशु उसी तालाब में पानी पीने आया करते थे । एक दिन एक शिकारी उस तालाब के पास आया । उसने तालाब में हाथ – मुँह धोकर पानी पिया शिकारी बहुत थका था और कई दिन का भूखा था ।

उसने सोचा- ‘ जंगल के पशु इस तालाब के पास पानी पीने अवश्य आयेंगे । यहाँ मुझे सरलता से शिकार मिल जायगा । तालाब के पास एक बेल के पेड़ पर चढ़कर वह बैठ गया । एक हिरनी थोड़ी देर में तालाब में पानी पीने आयी । शिकारी ने हिरनी को मारने के लिये धनुष पर बाण चढ़ाया। Shikari or Hiran ki Kahani 

हिरनी ने शिकारी को बाण चढ़ाते देख लिया । वह बोली- ‘ भाई शिकारी मैं जानती हूँ कि अब मैं भागकर तुम्हारे बाण से बच नहीं सकती किंतु तुम मुझ पर दया करो । मेरे दो छोटे – छोटे बच्चे मेरा रास्ता देखते होंगे । तुम मुझे थोड़ी देर की छुट्टी दे दो । मैं तुम्हें वचन देती हूँ कि अपने बच्चों को दूध पिलाकर और उन्हें अपनी सहेली हिरनी को सौंपकर तुम्हारे पास लौट आऊँगी ।

शिकारी हँसा । उसे यह विश्वास नहीं हुआ कि यह हिरनी प्राण देने फिर उसके पास लौटेगी । लेकिन उसने सोचा- ‘ जब यह इस प्रकार कहती है तो इसे छोड़ देना चाहिये । मेरे भाग्य में होगा तो मुझे दूसरा शिकार मिल जायगा । ‘ उसने हिरनी को चले जाने दिया ।

Shikari or Hiran ki Kahani  थोड़ी देर में वहाँ बड़ी सींगों वाला सुन्दर काला हिरन पानी पीने आया । शिकारी ने जब उसे मारने के लिये धनुष पर बाण चढ़ाया तो हिरन ने देख लिया और बोला – भाई शिकारी ! अपनी हिरनी और बच्चों से अलग हुए मुझे देर हो गयी है । वे सब घबरा रहे होंगे ।

मैं उनके पास जाकर उनसे मिल लूँ और उन्हें समझा दूँ , तब तुम्हारे पास अवश्य आऊँगा । इस समय दया करके तुम मुझे चले जाने दो । ‘ शिकारी बहुत झल्लाया । उसे बहुत भूख लगी थी ।

लेकिन हिरन को उसने यह सोचकर चले जाने दिया कि मेरे भाग्य में भूखा ही रहना होगा तो आज और भूखा रहूँगा । हिरनी अपने बच्चों के पास गयी । उसने बच्चों को दूध पिलाया , प्यार किया । फिर अपनी सहेली हिरनी को सब बातें बताकर उसने अपने बच्चे सौंपने चाहे । इतने में वहाँ वह हिरन भी आ गया ।

उसने भी बच्चों को प्यार किया । बच्चे अपने माता – पिता से अलग होने को तैयार नहीं होते थे । अन्त में उनका हठ मानकर हिरन और हिरनी ने उन्हें भी साथ ले लिया ।

तालाब के पास आकर हिरन ने शिकारी से कहा- ‘ भाई शिकारी ! अब हम लोग आ गये हैं । तुम अब हमें अपने बाणों से मारो और हमारे मांस से अपनी भूख मिटाओ । ‘Shikari or Hiran ki Kahani

हिरन और हिरनी की सच्चाई देखकर शिकारी को बड़ा आश्चर्य हुआ । वह पेड़ पर से नीचे उतर आया और बोला देखो ! ये हिरन पशु होकर भी अपनी बात के कितने सच्चे हैं । ये प्राण का मोह छोड़ कर सत्य की रक्षा के लिये मेरे पास आये हैं ।

मनुष्य होकर भी मैं कितना नीच और पापी हूँ कि अपना पेट भरने और चार पैसे कमाने के लिये निरपराध पशुओं की हत्या करता हूँ । अबसे मैं किसी पशुको नहीं मारूंगा । ‘

शिकारी ने अपना धनुष तोड़कर फेंक दिया । उसी समय वहाँ स्वर्ग से एक विमान उतरा । उस विमान को लाने वाले देव दूत ने कहा- ‘ शिकारी ! ये हिरन सत्य की रक्षा करने के कारण निष्पाप हो गये हैं , ये अब स्वर्ग को जायँगे ।

Shikari or Hiran ki Kahani  तुमने भी आज इन जीवों पर दया की , इसलिये तुम भी इनके साथ स्वर्ग चलो । हिरन – हिरनी और उनके दोनों बच्चों का रूप देवताओं के समान हो गया । वह शिकारी भी देवता बन गया । सत्य और दया के प्रभाव से विमान में बैठकर वे सब स्वर्ग चले गये ।

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