दोस्तों अक्सर ही हमने सुना है की दो लोगो की लडाई में तीसरा फायदा उठाता है कुछ ऐसा ही आज की हमारी कहानी में भी होने वाला है। Sher or Cheete ki Kahani शेर और चीते की लडाई में सियार की मौज आ जाती है क्या है पूरा माजरा चलिए कहानी को विस्तार से पढ़ते है।
Sher or Cheete ki Kahani – शेर और चीते की लडाई में सियार की मौज
किसी जंगल में एक शेर और एक चीता रहता था। वैसे तो शेर बहुत बलवान् होता है, किंतु वह शेर बूढ़ा हो गया था। उससे दौड़ा नही जाता था। चीता मोटा और बलवान् था। इतने पर भी चीता बूढ़े शेर से डरता था और उससे मित्रता रखता था। क्योंकि बूढ़ा होने पर भी शेर चीते से तो कुछ अधिक बलवान् था ही।
एक बार कई दिनों तक शेर और चीते में से किसी को कोई शिकार नहीं मिला। दोनों बहुत भूखे थे। दोनों शिकार की तलाश में आस-पास ही निकल पड़े। उन्होंने देखा कि एक छोटा हिरन पास में ही चर रहा है।
चीते ने शेर से कहा- ‘ मैं हिरन को पकड़ता हूँ। लेकिन आप उस नाले के ऊपर बैठ जायँ, जिस से हिरन नाले में भागकर छिप न सके। ‘शेर नाले पर बैठ गया। Sher or Cheete ki Kahani
चीते ने हिरन को दौड़कर पकड़ लिया और मार डाला। लेकिन हिरन बहुत छोटा था। उस हिरन से दो में से किसी एक की ही भूख मिट सकती थी। दोनों भूखे थे।
चीते के मन में लालच आने लगा, चीते ने कहा -‘हिरन को मैंने अकेले मारा है, इसलिये इसे मैं अकेले ही खाऊँगा।
शेर बोला- ‘ मैं जंगलका राजा हूँ और इस समय में बूढा हूँ। हिरन मैं खाऊँगा। तुम तो दौड़ सकते हो, दौड़कर दूसरा शिकार पकड़ो। मैं खाऊंगा-मैं खाऊंगा की होड़ में दोनों का झगड़ा बढ़ गया।
Sher or Cheete ki Kahani वे दोनों आपस में दाँत और पंजों से लड़ने लगे। झाड़ी में छिपा एक सियार यह सब देख रहा था।
जब शेर और चीते ने एक – दूसरे को पंजों और दाँतों से बहुत घायल कर दिया और दोनों भूमि पर गिर पड़े, तो सियार झाड़ी से निकला। वह हिरन को घसीट कर झाड़ी में ले गया और उन दोनों के सामने ही बड़े आराम से खाने लगा और वे देखते ही रह गये।
शेर और चीते में से किसी में भी अब इतनी हिम्मत नही बची थी कि कोई भी उठ सके।
शिक्षा:- जब भी दो व्यक्ति किसी वस्तु के लिये लड़ने लगते हैं तो उन दोनों की हानि होती है। लाभ तो कोई तीसरा ही उठाता है। इसलिये आपस में लड़ना नहीं चाहिये । कुछ हानि भी हो तो उसे सहकर मेल से ही रहना चाहिये। Sher or Cheete ki Kahani