आपके अक्सर ही अपनी दादी या नानी से शेर की या फिर अलग अलग प्रकार के जानवरों की कहानी तो सुनी ही होगी और उन कहानियो से हमें हमेशा ही कुछ न कुछ सीखने को ही मिलता है तो आज की कहानी भी कुछ इसी प्रकार की है जिसमे हमे दुसरो की मदद करने की सीख मिलती है आज की हमारी कहानी का शीर्षक है Sher aur Chuhiya ki Kahani तो चलिए बढ़ते है कहानी की तरफ:-
Sher aur Chuhiya ki Kahani – शेर और चुहिया की कहानी
एक जंगल में नदी किनारे एक गुफा थी जिसमे एक शेर रहता था, वह नदी पर पानी पीने आने वाले जानवरों का शिकार करता था। शेर इतना क्रूर था कि वह ज्यादातर जानवरों के बच्चो पर हमला करता था क्योकि बड़े जानवर फुर्ती से भागकर अपनी जान बचा लेते थे और बच्चे छोटे होने के कारण तेजी से नही भाग पाते थे।
कुछ इस प्रकार से वह भोजन ग्रहण करता था जिसके लिए उसे कही जाने की भी जरूरत नही पडती थी।
सर्दियों सर्दियों के दिन थे सभी जानवर ठंड के कारण अपने अपने घरो में छिपे हुए थे लेकिन जैसे-जैसे दिन चढने लगा सूरज निकल आया और उसकी घूप से मौसम में ठंडक कम हो गयी। उस धूप को लेने के लिए अब सभी जानवर बाहर निकल आये और धूप सेकने लगे।
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शेर भी अपनी गुफा से बहार निकल आया और खुले में लेटकर एक लम्बी अंगडाई ली और वही पर पैर पसार कर लेट गया। अच्छी धूप होने के कारण उसकी आँख लग गई। Sher aur Chuhiya ki Kahani
थोड़ी देर में उछलते कूदते वहां पर एक प्यारी सी चुहिया आ गई। वह अपनी मस्ती में मस्त होकर इठलाते हुए जा रही अचानक उसकी नजर शेर पर पड़ी,वह दौड़कर पास की झाड़ी में छिप गई।
कुछ समझ बाद उसने झाड़ी से अपने सिर को बाहर निकाला और देखा शेर सो रहा है। उसने हिम्मत की और शेर के पास पहुंची और उसे आहिस्ता से सहलाया लेकिन शेर ने कोई प्रतिक्रिया नही दी।
चुहिया के द्वारा शेर को आहिस्ता से स्पर्श करना चुहिया को काफी अच्छा लगा। अब चुहिया को शैतानी सूझी वह दौड़कर पेड़ पर चढ़ गई और वहां से उसने शेर पर छलांग लगा दी लेकिन आकार में छोटी होने के कारण शेर को कोई फर्क नही पड़ा। इस तरह चुहिया काफी देर तक शेर के साथ खेलती रही।
अचानक शेर की नींद खुल गई उसने देखा एक छोटी सी चुहिया उसके पेट पर उछल-कूद कर रही है शेर मन ही मन मुस्कुराया और मुँह घुमाकर सो गया। लेकिन अब शेर के कोई प्रतिक्रिया न देने के कारण चुहिया की हिम्मत बढ़ गई।
Sher aur Chuhiya ki Kahani चुहिया ने अब शेर की मूंछो से खेलने का मन बनाया और जाकर शेर की मूंछ पकड़कर उससे खेलने लगी लेकिन इस बार शेर को गुस्सा आ गया और उसने चुहिया को अपने पंजे से पकड़ लिया चुहिया भी काफी फुर्ती से भागी लेकिन उसकी पूँछ शेर के पंजे में आ गई।
शेर ने कहा- “अब मैं तुझे नही छोडूंगा। अब तू मेरे पेट मे जाकर उछल कूद करना।”
यह सुनकर चुहिया घबरा गई और बोली- “महाराज ! मुझे माफ़ करदे ऐसी गलती अब नही होगी। में भूल गई थी आप इस जंगल के राजा है। मुझे माफ़ कर दे, आगे से कभी ऐसी भूल नही होगी। Sher aur Chuhiya ki Kahani
शेर को चुहिया के इस आवेदन पर दया आ गयी और उसने चुहिया को छोड़ दिया, चुहिया ने शेर को प्रणाम किया और अपने बिल में भाग गई।
धीरे-धीरे समय बीतता रहा और अब गर्मियों के दिन आ गए। कुछ दिन बाद जंगल मे कुछ शिकारी आये उन्होंने नदी किनारे शेर के पंजों के निशान देखे और समझ गए जंगल मे आस पास कोई शेर रहता है। उन्होंने अपना जाल नदी किनारे लगा दिया और चले गए।
गर्मी होने के कारण शेर को प्यास लगी और शेर नदी की तरफ गया नदी किनारे जाकर शेर ने पानी पिया और वापस अपनी गुफा में जाने लगा तबी वह शिकारियों के उस जाल में फस गया। Sher aur Chuhiya ki Kahani
शेर काफी यत्न कर रहा था उस जाल में से निकलने के लिए लेकिन उसका कोई भी यत्न काम नही आया और वह जाल से निकलने में असमर्थ रहा। वह अब गुस्से में तेज से दहाड़ने लगा।
उसकी दहाड़ से सारा जंगल कांप उठा। उसकी तेज आवाज़ सुनकर गुफा के पास ही बिल में से निकलकर चुहिया ने देखा तो पास ही में शेर एक जाल में फंसा हुआ था, और जाल से निकलने की भरपूर कोशिश कर रहा था।
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चुहिया ने हिम्मत की और शेर के पास पहुंची और बोली- “महाराज ! आप परेशान न हो आपने मुझे जीवन दान दिया था। उसके बदलने में आज मैं आपको एक विपदा से निकलने में आपकी मदद करूँगी।
Sher aur Chuhiya ki Kahani यह कहकर चुहिया ने कुछ ही देर में सारा जाल अपने तेज दांतो से कुतर डाला और शेर आज़ाद हो गया। शेर ने चुहिया को धन्यवाद दिया और दोनों में गहरी मित्रता हो गयी और मिलकर दोनों उस शेर की गुफा में ही रहने लगे।
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