Saras ki Shiksha ki Kahani – सारस ने क्या शिक्षा दी अपने बच्चो को

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Saras ki Shiksha ki Kahani
Saras ki Shiksha ki Kahani

आज की कहानी का शीर्षक है Saras ki Shiksha ki Kahani जिसके अनुसार आज की कहानी में सारस अपने बच्चो को किसान के माध्यम से जीवन की एक बहुत जरूरी शिक्षा देता है आखिर वह शिक्षा क्या थी चलिए कहानी को विस्तार से जानते है।

Saras ki Shiksha ki Kahani – सारस की शिक्षा

एक गांव के पास एक खेत में सारस पक्षी का एक जोड़ा रहता था। सारस और उसकी पत्नी बड़े ही प्रेम से वहां रहा करते थे। कुछ समय बाद सारस की पत्नी ने चार अंडे दिए। अब सारस और सारस की पत्नी दोनों मिलकर अंडो का बहुत ख्याल रखते थे।

समय के साथ साथ अंडे फुट गये और उनमे से प्यारे-प्यारे बच्चे निकल आये। लेकिन बच्चो के बड़े होकर उड़ने योग्य होने से पहले ही अब खेत की फसल पक कर तैयार हो चुकी थी। इस बारे में सोच कर दोनों ही बड़ी चिंता मे पड़ गये थे।

जब तक किसान फसल काटने आये, उससे पहले ही बच्चो के साथ उन्हें वहां से उड़ जाना चाहिए। वह दोनों इसी बारे में सोच रहे थे लेकिन बच्चे अभी बहुत छोटे थे और ठीक तरह से उड़ नही सकते थे इसलिए उनका उड़ जाना संभव नही था। Saras ki Shiksha ki Kahani

एक दिन जब सारस और उसकी पत्नी बच्चो के लिए खाने का प्रबंध करने जा रहे थे तो सारस ने बच्चो से कहा-‘ बच्चो हमारे घर पर न रहने पर यदि कोई खेत के पास आये तो उसकी बात सुनकर याद रखना और बोलना बिलकुल भी नहीं।

शाम को जब सारस बच्चो के लिए खाना लेकर लौटा तो बच्चो ने कहा-‘ पिता जी ! आज किसान आया था, वह खेत के चारो तरफ घूमता रहा। एक-दो स्थानों पर काफी देर तक खड़े होकर देर तक खेत को घूरता रहा।

वह कहता था कि खेत अब काटने योग्य हो गया है, आज ही जाकर गांव के लोगो से कहूँगा कि वे मेरा खेत कटवा दे।‘

सारस ने बच्चो से कहा-‘ तुम लोग डरो मत। खेत अभी नही कटेगा। अभी खेत को काटने में देर है तुम लोग चिंता मत करो, बस जब भी किसान खेत में आये तुम में से कोई भी बोलना नही चुप चाप उनकी सारी बाते सुनना।

कई दिन बाद जब सारस शाम को बच्चो के पास आये तो बच्चे बहुत घबराए हुए थे। वे कहने लगे-‘ अब हम लोगो को यह खेत झटपट छोड़ देना चाहिए। Saras ki Shiksha ki Kahani

आज किसान खेत पर फिर आया था। वह कह रहा था गाँव के लोग बड़े ही स्वार्थी हैं। वह मेरे खेत को कटवाने में मेरी मदद नही करना चाहते है। मैं कल ही अपने भाइयो को भेजकर खेत कटवा लूँगा।

सारस बच्चो की बात सुनकर निश्चिन्त होकर बैठा और बोला-‘ अभी खेत काटने में देर है। तब तक तुम लोग ठीक प्रकार से उड़ने लगोगे। डरने की कोई आवश्यकता नही है। तुम सब निश्चित रहो खेत अभी नही कटेगा।

सारस के कहे अनुसार कुछ दिन और बीत गये। किसान का खेत नही कटा और न ही खेत काटने कोई आया।

इस तरह कई दिन बीत गये। कुछ ही दिनों में सारस के बच्चे उड़ने लगे और उड़ने में निर्भय हो गये।

Saras ki Shiksha ki Kahani एक दिन शाम को जब सारस वापस लौटे तो बच्चो ने सारस से कहा-‘ यह किसान हमको झूट-मूठ डराता है।‘ इसका खेत तो कटेगा नही। यह हर बार कोई न कोई बहाना बना देता है।

पिता जी पता है आज किसान कह रहा था ‘मेरे भाई भी मेरी बात नही सुन रहे है और मुझे टाल रहे है। इस तरह तो मेरी फसल का सारा अन्न सुखकर झड़ जायेगा और मेरा भारी नुकसान हो जायेगा। मैं कल स्वयं आकर ही खेत काटूँगा।

यह सुनकर सारस घबराकर बोला-‘ चलो ! जल्दी करो ! अभी अँधेरा नहीं हुआ है, दुसरे सुरक्षित स्थान पर उड़ चलो। कल खेत अवश्य कट जायेगा।

बच्चे बोले-‘ पिता जी ! इस बार खेत कट जायेगा यह कैसे?

सारस ने कहा-‘ किसान जब तक गावंवालो और अपने भाइयो के सहारे था, खेत के कटने की आशा नही थी। जो भी व्यक्ति दुसरो के भरोसे कोई काम छोड़ता है, तो उसका काम कभी नही होता। लेकिन जो व्यक्ति किसी भी कार्य को स्वयं करने की ठान लेता है उसका काम अवश्य सफल होता है। Saras ki Shiksha ki Kahani

अब किसान स्वयं ही फसल काटने सुबह खेत पर आ जायेगा तो कल अवश्य ही खेत कटना शुरू हो जायेगा। इतना कहकर सारस अपने बच्चो और पत्नी संग सभी के साथ उडकर एक अन्य सुरक्षित स्थान पर चला गया।

शिक्षा :- हमे कभी भी कोई कार्य कल पर नही टालना चाहिए अपने कार्य को सही समय पर करना चाहिए, समय पर किया गया कार्य सदा सफल होता है।

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