हमने बचपन से ही अपने बड़ो को हमेशा से कहते हुए सुना है की हमे लालच नही करना चाहिए,लालच बुरी बाला है लेकिन फिर भी कई बार हम हमे लालची बनने के लिए मजबूर कर देता है जिसके चलते हमे कई बार पछताना पड़ता है| लालच करने वाला व्यक्ति कभी सफल नही होता और न ही अपने कार्य के प्रति कर्तव्यनिष्ट होता है| ऐसी ही एक Moral Stories in Hindi आपके लिए मै लेकर आया हूँ तो चलिए बढ़ते है कहानी की तरफ :-
Moral Stories in Hindi – लालच बुरी बला है,लालची व्यक्ति हमेशा ही पछताते है |
मंगल बहुत सी सीधा और सच्चा था| वह बहुत गरीब था,वह एक लकडहारा था जो दिन भर जंगल में से सुखी लकड़ियाँ काटता और शाम को उसका गट्ठर बनाकर उसे बाजार में बेच आता था | लकड़ियाँ बेचने से उसे जो भी आमदनी होती थी उससे वह घर के लिए आटा,दाल,नमक आदि खरीदता था | वह हमेशा ही अपने परिश्रम की कमाई से संतुष्ट रहता था और उसके लिए भगवान को धन्यवाद दिया करता था|
एक दिन मंगल लकड़ियाँ काटने जंगल गया| नदी किनारे उसे एक पेड़ की सुखी डाल उसे दिखीजिसे काटने के लिए वह पेड़ पर चढ़ गया| डाल काटते काटते उसकी कुल्हाड़ी ढीली हो गई और नदी में गिर गई | मंगल पेड़ से नीचे उतर आया और कई बार उसने नदी में डुबकी लगायी लेकिन उसे कुल्हाड़ी नही मिली|
मंगल दुखी होकर अपने दोनों हाथो से सिर पकड़कर बैठ गया,उसकी आँखों से आसूं बहने लगे| उसके पास दूसरी कुल्हाड़ी खरीदने के लिए पैसे नही थे| कुल्हाड़ी के बिना वह अपने परिवार का पालन-पोषण कैसे करेगा यह सोचकर वह रोने लगा |
मंगल के रोने पर नदी के जल देवता को उस पर दया आ गई और वह उसके सामने प्रकट हो गये और उससे बोले “तुम कौन हो और क्यों रो रहे हो” ? Moral Stories in Hindi
मंगल ने जल देवता को देखा तो उन्हें सिर झुका कर उन्हें नमन किया और आसू पोछते हुए बोला “हे देव मै एक लकडहारा हूँ जंगल के सूखे पेड़ो की लकड़ियाँ काटता हूँ उन्हें बेच कर अपना जीवन निर्वाह करता हूँ” | “आज जब मै इस पेड़ की लकड़ियाँ काट रहा था तभी मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई,बहुत ढूंढने के बाद भी मुझे वह नही मिली मेरे पास और पैसे भी नही है जिससे में दूसरी कुल्हाड़ी खरीद सकूँ |
देवता ने कहा “रो मत ! मै तुम्हारी कुल्हाड़ी नदी में से ढूंढ कर लाता हूँ | यह बात सुनकर मंगल खुश हो गया |
देवता ने डुबकी लगाई और एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकले और बोले ” लो तुम्हारी कुल्हाड़ी” | मंगल ने कुल्हाड़ी देखी वह बोला नही देव यह मेरी कुल्हाड़ी नही है |
देवता ने फिर डुबकी लगाई और इस बार एक चांदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकले और बोले “यह लो तुम्हारी कुल्हाड़ी” | मंगल ने उसे देखा तो वह उसे देखकर बोला नही महाराज यह भी मेरी कुल्हाड़ी नही है |
देवता ने तीसरी बार डुबकी लगाई औ Hindi Moral Stories इस बार एक लोहे की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकले और बोले “यह लो यह तो तुम्हारी ही कुल्हाड़ी होगी”| मंगल ने ज्यो ही लोहे की कुल्हाड़ी देखी ख़ुशी से झूम उठा और बोला न महाराज यही है मेरी कुल्हाड़ी | आपका लाख लाख धन्यवाद !
देवता उसकी ईमानदारी से प्रसन्न हो गये और बोले “मंगल मै तुम्हारी ईमानदारी और सच्चाई से बहुत प्रसन्न हूँ लो यह सोने और चांदी की कुल्हाड़ी मै तुम्हे उपहार दे रहा हूँ | मंगल की ख़ुशी का ठिकाना नही रहा उसने देवता को झुक कर प्रणाम किया और ख़ुशी ख़ुशी घर लौट आया |
घर आते समय रास्ते में उसे कुछ उसके कुछ दोस्त मिले जो उसकी सोने और चांदी की कुल्हाड़ी देख उससे पूछने लगे “अरे मंगल यह कीमती सोने और चांदी की कुल्हाड़ी कहाँ से ले आया”| भोले और सच्चे मंगल ने जवाब में उसने सारी बात बता दी और घर की ओर चल दिया | उसके दोस्त के मन में लालच आ गया और अगले दिन वह भी नदी किनारे पहुँच गया |
वह भी पेड़ पर चढ़ गया और अपने कुल्हाड़ी जान बुझकर नदी में गिरा दी और नीचे आकर रोने लगा | “हाय ! मेरी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई कोई मेरी मदद करो”| उसकी रोने की आवाज सुनकर जल देवता फिर से प्रकट हुए और उससे सारी बात पूछने लगे |
उसने वही सारी बात बताई जो मंगल ने बताई थी,जल देव सब समझ गये और बोले “तुम रो मत मै तुम्हारी कुल्हाड़ी ढूंढ कर लाता हूँ|
जल देव ने नदी में डुबकी लगाई और पहली बार में एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर बाहर निकले और बोले “क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है” ? लालची ने कहा हाँ प्रभु यही मेरी कुल्हाड़ी है | Moral Stories in Hindi
देव को क्रोध आ गया और वह बोले “धूर्त झूठ बोलता है यह तेरी कुल्हाड़ी नही है,तेरी कुल्हाड़ी लोहे की थी” | और यह कहकर जल देवता गायब हो गये | अब वह लालची अपना सिर पीटने लगा और जोर जोर से रोने लगा, लेकिन अब उसकी सुनने वाला जंगल में कोई नही था | उसने लालच के चलते अपनी कुल्हाड़ी भी नदी में फेक दी थी अब वह अपनी कुल्हाड़ी से भी हाथ धो बैठा |
शिक्षा :- लालच बुरी बला है,लालची व्यक्ति हमेशा ही पछताते है |
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