हिंदुओं के पावन ग्रंथों में से एक रामायण के रचयिता महाज्ञानी महर्षि वाल्मीकि के जीवन के बारे में आज हम जाने वाले हैं आज मैं आपको महर्षि वाल्मीकि के जन्म उनके जीवन के बारे में विस्तृत जानकारी देने वाला हूं लेकिन उससे पहले हम यह जान लेते हैं कि महर्षि वाल्मीकि कौन थे ? Mehrishi Valmiki Kaun the hindi – महर्षि वाल्मीकि कौन थे – Valmiki Jayanti
महर्षि वाल्मीकि का जीवन भील जाति के लोगों के साथ बिता लेकिन वह भील जाति के नहीं थे उनका नाम रत्नाकर हुआ करता था महर्षि वाल्मीकि नाम पड़ने की एक कथा है जिसके बारे में आपको आगे बताऊंगा और वाल्मीकि जयंती क्यों मनाई जाती है इसके बारे में भी आज हम बात करने वाले हैं, और किस प्रकार से उन्होंने संस्कृत के प्रथम महाकाव्य रामायण की रचना की तो चलिए इस विषय के बारे में विस्तार से जानते हैं।
Mehrishi Valmiki Kaun the hindi – महर्षि वाल्मीकि कौन थे – Valmiki Jayanti
Valmiki Kaun the hindi – कौन थे महर्षि वाल्मीकि ?
पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का नाम रत्नाकर हुआ करता था, उनका जन्म होने के बाद उनको एक भील जाति की महिला उठाकर ले गई और उनका पालन पोषण भील जाति में हुआ कुछ मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान वाल्मीकि जी प्रचेता के पुत्र थे और प्रचेता ब्रह्मा जी के पुत्र थे।
भील समाज में पलने के उपरांत वह भीलो की परंपरा को अपनाकर रहने लगे और अपनी आजीविका चलाने के लिए डाकू बन गए जो जंगल से गुजरने वाले राहगीरों को लूटते थे और कभी-कभी उनकी हत्या भी कर देते थे।
कैसे एक डाकू महर्षि वाल्मीकि बने?
पौराणिक कथा के अनुसार रत्नाकर नाम का एक डाकू हुआ करता था जो जंगल से गुजरने वाले राहगीरों से लूटपाट करता था और उनकी हत्या कर देता था। एक दिन देव ऋषि नारद मुनि उसी जंगल से गुजरे, रत्नाकर ने नारद जी को बंदी बना लिया और उनसे धन के बारे में प्रश्न करने लगा, तब नारद मुनि बोले “वत्स ! Mehrishi Valmiki Kaun the hindi तुम यह घोर पाप क्यों कर रहे हो और तुम यह घोर पाप किसके लिए कर रहे हो?
रत्नाकर ने जवाब दिया “मैं अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए और जीवन यापन के लिए यह कार्य कर रहा हूं।”
रत्नाकर के जवाब को सुनकर नारद मुनि बोले “जिस परिवार के लिए तुम यह पाप कर रहे हो क्या वह परिवार तुम्हारे पाप में भागीदार बनेगा ? क्या तुम्हारे पाप की सजा तुम्हारा परिवार सहन करेगा? एक बार तुम इस बात की पुष्टि कर लो अगर तुम इस बात की पुष्टि कर लोगे तो मैं तुम्हें अपना सारा धन दे दूंगा।
रत्नाकर ने नारद मुनि को वही बंदी बना छोड़ घर जाकर अपने परिवार के सदस्यों से इस सवाल का उत्तर मांगा लेकिन परिवार के सदस्यों का उत्तर सुनकर रत्नाकर को बड़ा आश्चर्य हुआ, कि वह अब तक जिनके लिए यह पाप कर रहा था उनमें से कोई भी सदस्य रत्नाकर के पाप का भागीदार नहीं बनना चाहता है। घर से लौटकर रत्नाकर ने देव ऋषि नारद मुनि को मुक्त कर दिया और अपनी गलती का एहसास किया।
कैसे पड़ा रत्नाकर से महर्षि वाल्मीकि नाम?
जैसा कि आपने अभी तक जाना कि अपने माता-पिता के और घर के सदस्यों में से कोई भी रत्नाकर के पाप में भागीदार नहीं बनना चाहता था । Mehrishi Valmiki Kaun the hindi
तब रत्नाकर ने नारद मुनि से अपने पापों के प्रायश्चित करने की इच्छा रखी। इस पर नारद मुनि ने रत्नाकर को धैर्य और साहस बंधाया और “राम” नाम जप करने का आदेश दिया। लेकिन भूलवश वह राम नाम का जप “राम राम” के स्थान पर “मरा मरा” करने लगे जिसके फलस्वरूप उनका शरीर अत्यंत दुर्बल हो गया, उनके शरीर पर चीटियां चलने लगी इस प्रकार उन्होंने अपने पाप का फल भोग लिया और कठिन तप करने लगे।
रत्नाकर के कठिन तप से ब्रह्मा जी अत्यंत प्रसन्न हो गए और उन्होंने रत्नाकर को रामायण लिखने का ज्ञान और सामर्थ्य दिया। तभी से रत्नाकर का नाम महर्षि वाल्मीकि पड़ा और आगे चलकर महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत के प्रथम महाकाव्य रामायण की रचना की, जिसे वाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है रामायण में भगवान वाल्मीकि ने 24000 संस्कृत श्लोक में श्रीराम के जीवन को दर्शाया है।
वाल्मीकि रामायण का इतिहास महर्षि वाल्मीकि ने “रामायण” की रचना संस्कृत भाषा में ही की थी उनके द्वारा रचित रामायण वाल्मीकि रामायण कहलाई। वाल्मीकि रामायण में 24000 से ज्यादा श्लोक संस्कृत में लिखे हैं, रामायण एक महाकाव्य है जिसमें श्रीराम के जीवन के सत्य कर्म, कर्तव्य, मात्र पित्र भक्ति, मर्यादा पुरुषोत्तम आदि के बारे में अवगत कराया गया है।
वाल्मीकि रामायण में भगवान राम को एक साधाvalmikiरण व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है, जो स्वयं ईश्वर होते हुए भी दुःख-सुख सब का अनुभव करते है Mehrishi Valmiki Kaun the hindi और सरल जीवन व्यतीत करते हैं। श्रीराम मानव जाति को अपने जीवन के माध्यम से कई महत्वपूर्ण संदेश देते हैं। यह रामायण भारत का प्राचीन और महत्वपूर्ण ग्रंथ है।
When is Valmiki Jayanti – वाल्मीकि जयंती कब मनाई जाती है?
हिंदू धर्म कैलेंडर के अनुसार महर्षि वाल्मीकि का जन्म आश्विन मास की पूर्णिमा को हुआ था और इसी दिन को वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है।
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