दोस्तों कहते है लालच किसी इंसान के लिए हो या फिर किसी भी जीवित प्राणी के लिए हमेशा नुकसानदायक ही होता है ऐसा ही कुछ आज की कहानी में भी है Makkhi ka Lalach Kahani in Hindi – मक्खी का लालच, कहानी में एक मक्खी के लोभ के कारण अनेको मक्खियों की जान चली जाती है आखिर कहानी में ऐसा क्या होता है चलिए कहानी को विस्तार से जानते है ।
Makkhi ka Lalach Kahani in Hindi – मक्खी का लालच
एक समय की बात है कुछ मक्खियाँ का झुण्ड एक दिन घूमते-घूमते हुए एक नगर के बाजार से होता हुआ गुजरा । उन्होंने बाजार में अनेक प्रकार के पकवान, मिठाई, फल और विभिन्न तरह की खाने की चीजे देखी और उन्हें भिन्न भिन्न प्रकार के खाने की सुगंध भी आ रही थी ।
मक्खियों की रानी ने सभी को आदेश दिया जब तक बाजार लगा हुआ है सभी मक्खियाँ खाने का प्रबंध करे और भविष्य के लिए भी खाना एकत्र करने की तैयारी करे लेकिन कोई भी खाने के लालच में दूर नही जायेगा और सभी झुण्ड के साथ ही रहेंगे ।
इतना सुनकर सभी मक्खियाँ अलग अलग दिशा में खाने की तलाश में निकल पड़ी ।
Makkhi ka Lalach Kahani in Hindi एक झुण्ड ने फलो और सब्जियों की दुकान में जाकर खाने का प्रबंध करने की शुरुआत की दुसरे झुण्ड ने मिठाई की दुकान में जाकर, इस प्रकार सभी मक्खियाँ अलग अलग झुण्ड बनाकर अपने काम में लग गयी ।
तभी एक मक्खी की नजर एक दुकान पर पड़ी जहाँ से अत्यंत स्वादिष्ट खाने की सुगंध आ रही थी । एक मक्खी ने दूसरी मक्खी से कहा ‘मित्र ! देख उस दुकान में अवश्य ही कोई स्वादिष्ट चीज़ मिल रही होगी देख कितनी अच्छी लग रही है वह क्या है?’
दूसरी मक्खी ने कहा ‘नही मित्र ! हमे झुण्ड से दूर नही जाना चाहिए । वहाँ अकेले खतरा भी हो सकता है । लेकिन पहले वाली मक्खी नही मानी और उस दुकान में चली गयी । उसे देख बाकि मक्खियाँ भी लालच में आकर उसके पीछे पीछे चली आई ।
वहाँ जाकर उसने देखा एक व्यापारी अपने ग्राहक को शहद दे रहा था । Makkhi ka Lalach Kahani in Hindi
अचानक व्यापारी के हाथ से छूटकर शहद का बर्तन गिर पड़ा । बहुत – सा शहद भूमि पर गिर जाता है । जितना शहद व्यापारी उठा सकता था , उतना उसने ऊपर – ऊपर से उठा लिया ; लेकिन कुछ शहद भूमि में गिरा रह गया ।
सभी मक्खियाँ शहद की मिठास के लोभ से आकर उस शहद पर बैठ गयीं । मीठा – मीठा शहद उन्हें बहुत अच्छा लगा । जल्दी – जल्दी वे उसे चाटने लगीं ।
Makkhi ka Lalach Kahani in Hindi जब तक उनका पेट भर नहीं गया , वे शहद चाटने में लगी रहीं । जब मक्खियों का पेट भर गया , उन्होंने उड़ना चाहा । लेकिन उनके पंख शहद से चिपक गये थे ।
उड़नेके लिये वे जितना छटपटाती जितना कोशिश करती थीं , उतने ही उनके पंख चिपकते जाते थे । उनके सारे शरीर में शहद लगता जा रहा था ।
बहुत – सी मक्खियाँ शहद में लोट – पोट होकर मर गयीं । बहुत – सी पंख चिपकने से अभी भी छटपटा रही थीं । लेकिन दूसरी नयी – नयी मक्खियाँ शहद के लालच से वहाँ आती – जा रही थीं । मरी और छटपटाती मक्खियों को देखकर भी वे शहद खाने का लोभ छोड़ नहीं छोड़ पा रही थीं ।
मक्खियों की दुर्गति और मूर्खता देखकर व्यापारी बोला- ‘ जो लोग जीभ के स्वाद के लोभ में पड़ जाते हैं , वे इन मक्खियों के समान ही मूर्ख होते हैं । स्वाद का थोड़ी देर का सुख उठाने के लोभ से वे अपना स्वास्थ्य नष्ट कर देते हैं , रोगी बनकर छटपटाते हैं और शीघ्र मृत्यु के ग्रास बनते हैं । ‘ Makkhi ka Lalach Kahani in Hindi
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