दोस्तों लालच बुरी बला है यह कहावत बिलकुल सच है कुछ इस आधार पर ही आज की हमारी कहानी भी आधारित है Lalchi Raja Ki kahani in Hindi – लालची राजा की कहानी जिसमे लालच के कारण एक राजा को कुछ ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जब वह अपनी बेटी और खाने पीने इत्यादी सभी प्रकार की वस्तुओं से भी दूर हो जाता है और आखिर क्या है पूरा माजरा चलिए कहानी को विस्तार से जानते है।
Lalchi Raja Ki kahani in Hindi – लालची राजा की कहानी
यूरोप में यूनान नाम का एक देश है । यूनान में पुराने समय में मीदास नाम का एक राजा राज्य करता था । राजा मीदास बड़ा ही लालची था ।
अपनी पुत्री को छोड़कर उसे दूसरी कोई वस्तु संसार में प्यारी थी तो बस सोना ही प्यारा था ।वह रात में सोते – सोते भी सोना इकट्ठा करने का स्वप्न देखा करता था ।
एक दिन राजा मीदास अपने खजाने में बैठा सोने की ईंटें और अशर्फियाँ गिन रहा था । अचानक वहाँ एक देवदूत आया ।
उसने राजा से कहा- ‘ मीदास ! तुम बहुत धनी हो । ‘ मीदास ने मुँह लटकाकर उत्तर दिया- ‘ मैं धनी कहाँ हूँ । मेरे पास तो यह बहुत थोड़ा सोना है । Lalchi Raja Ki kahani in Hindi
‘ देवदूत बोला- ‘ तुम्हें इतने सोने से भी संतोष नहीं ? कितना सोना चाहिये तुम्हें ?
” राजा ने कहा- ‘ मैं तो चाहता हूँ कि मैं जिस वस्तु को हाथ से स्पर्श करू वही सोने की हो जाय ।
‘ देवदूत हँसा और बोला— ‘ अच्छी बात ! कल सबेरे से तुम जिस वस्तु को छुओगे , वही सोने की हो जायगी ।
‘ उस देवदूत की बात सुनकर रात में राजा मीदास को नींद नहीं आयी । बड़े सबेरे वह उठा।
उसने एक कुर्सी पर हाथ रखा , वह सोने की हो गयी । एक मेज को छुआ , वह सोने की बन गयी । राजा मीदास प्रसन्नता के मारे उछलने और नाचने लगा । वह पागलों की भाँति दौड़ता हुआ अपने बगीचे में गया और पेड़ों को छूने लगा ।
Lalchi Raja Ki kahani in Hindi उसने फूल , पत्ते , डालियाँ , गमले छुए । सब सोने के हो गये । सब चमाचम चमकने लगे । मीदास के पास सोने का पार नहीं रहा । दौड़ते – उछलते मीदास थक गया । उसे अभी तक यह पता ही नहीं लगा था कि उसके कपड़े भी सोने के होकर बहुत भारी हो गये हैं । वह प्यासा था और भूख भी उसे लगी थी ।
बगीचे से अपने राजमहल लौटकर एक सोने की कुर्सी पर वह बैठ गया । एक नौकर ने उसके आगे भोजन और पानी लाकर रख दिया । लेकिन जैसे ही मीदास ने भोजन को हाथ लगाया , सब भोजन सोना बन गया । उसने पानी पीने के लिये गिलास उठाया तो गिलास और पानी सोना हो गया ।
मीदास के सामने सोने की रोटियाँ , सोने के चावल , सोने के आलू आदि रखे थे और वह भूखा था , प्यासा था । सोना चबाकर उसकी भूख नहीं मिट सकती थी । मीदास रो पड़ा ।
उसी समय उसकी पुत्री खेलते हुए वहाँ आयी । अपने पिता को रोते देख वह पिता की गोद में चढ़कर उसके आँसू पोंछने लगी । मीदास ने पुत्री को अपनी छाती से लगा लिया । Lalchi Raja Ki kahani in Hindi
लेकिन अब उसकी पुत्री वहाँ कहाँ थी । मीदास की गोद में तो उसकी पुत्री की सोने की इतनी वजनी मूर्ति थी कि उसे वह गोद में उठाये भी नहीं रख सकता था । बेचारा मीदास सिर पीट – पीटकर रोने लगा ।
देवदूत को दया आ गयी । वह फिर प्रकट हुआ उसे देखते ही मीदास उसके पैरों पर गिर पड़ा और गिड़गिड़ा कर प्रार्थना करने लगा- आप अपना वरदान वापस लौटा लीजिये । ‘
देवदूत ने पूछा- ‘ मीदास ! अब तुम्हे सोना नहीं चाहिये ? टुकड़ा रोटी भली या सोना ? ‘ बताओ तो एक गिलास पानी मूल्यवान् है या सोना ? एक टुकड़ा रोटी भली या सोना?
मीदास ने हाथ जोड़कर कहा – ‘ मुझे सोना नहीं चाहिये । मैं जान गया कि मनुष्य को सोना नहीं चाहिये । सोने के बिना मनुष्य का कोई काम नहीं अटकता ; किंतु एक गिलास पानी और एक टुकड़े रोटी के बिना मनुष्य का काम नहीं चल सकता । Lalchi Raja Ki kahani in Hindi अब सोने का लोभ कभी नहीं करूँगा ।
‘ देवदूत ने एक कटोरे में जल दिया और कहा – ‘ इसे सबपर छिड़क दो ।
‘ मीदास ने वह जल अपनी पुत्री पर , मेज पर , कुर्सी पर , भोजन पर , पानी पर और बगीचे के पेड़ों पर छिड़क दिया । सब पदार्थ जैसे पहले थे , वैसे ही हो गये ।
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