Kisan or Saras Ki Kahani – किसान और सारस की कहानी

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Kisan or Saras Ki Kahani
Kisan or Saras Ki Kahani

दोस्तों कहते है कि गलत संगत के साथ रहने मात्र से आपको भी गलत समझ लिया जाता है अब मैं ऐसा क्यों कह रहा हूँ यह आपको मैं आज की कहानी Kisan or Saras Ki Kahani के माध्यम से समझाऊंगा। आज की कहानी में मैं आपको बताऊंगा कैसे एक निर्दोष सारस खेती को नुकसान करने वाले पक्षियों के साथ में रहने मात्र से दोषी बन जाता है और उसकी सजा भी उसे मिलती है।

Kisan or Saras Ki Kahani किसान और सारस की कहानी

एक किसान हमेशा ही अपने खेतो में इस आस से खूब मेहनत करता था कि इस बार अच्छी फसल तैयार हो जिससे उसे अधिक से अधिक लाभ हो सके और वह अपना कर्ज चुका सके। लेकिन उसकी यह सोच अक्सर ही गलत साबित हो जाया करती थी क्योकि वह चिडियों से बहुत तंग आ गया था।

उसका खेत जंगल के पास था और जंगल में अनेक पक्षी थे। किसान जैसे ही खेत में बीज बोकर, पाटा चलाकर घर जाता, वैसे ही झुंड के झुंड पक्षी उसके खेत में आकर बैठ जाते और मिट्टी कुरेद-कुरेद कर बोये हुए बीजो को खाने लगते। Kisan or Saras Ki Kahani

किसान पक्षियों को उड़ाते-उड़ाते थक गया था। उसके बोये हुए बहुत से बीज चिडियों ने खा लिए थे, अब वह उन पक्षियों से परेशान हो चुका था। वह बार-बार बीज बोता था और हर बार पक्षी उन बीजो को कुरेद कर खा जाते थे और उसे फिर से नये बीज बोने पड़ते थे।

पक्षियों से परेशान होकर इस बार किसान शहर से एक बहुत बड़ा जाल ले आया। उसने पूरे खेत पर जाल बिछा दिया और जाल बिछा कर घर चला गया। उसने इस बार मन ही मन इन पक्षियों को सबक सिखाने के लिए पूरी तैयारी कर ली थी।

उसके घर जाते ही बहुत से पक्षी खेत से बीज चुगने आये और जाल में फंस गये। पक्षियों के साथ जाल में एक हंस भी फस गया। वह खेत में उन पक्षियों के साथ उडकर आया था और खेत में घूम रहे छोटे छोटे कीड़ो को खाने के लिए आया था। Kisan or Saras Ki Kahani

सभी पक्षी रात भर उस जाल में फंसे रहे और अगली सुबह जब किसान खेत पर आया तो उसने देखा खेत में लगाये हुए जाल में बहुत से पक्षी फंसे हुए है और उन पक्षियों के साथ एक हंस भी जाल में फंसा हुआ है। अब किसान को देख कर सभी पक्षी भयभीत हो गये।

किसान जब जाल में फंसी चिडियों को पकड़ने लगा तो सारस ने किसान से कहा-‘आप मुझपर कृपा कीजिये। मैंने आपकी कोई हानि नहीं की है। Kisan or Saras Ki Kahani

मैं न तो कोई मुर्गी हूँ, न ही बगुला और न ही बीज खाने वाला कोई पक्षी। मैं तो एक सारस हूँ। मैं तो खेत को नुकसान पहुँचाने वाला कीड़ो को खाता हूँ। कृपा कर मुझे छोड़ दे।‘

किसान अपने खेत में होने वाले नुकसान के क्रोध से भरा हुआ था। वह बोला-‘ तुम कहते तो ठीक हो लेकिन आज तुम भी इन बीज खाने वाली चिडियों के साथ पकड़े गये हो, जो मेरे खेत के बीज को खा जाया करती थी। तुम भी इन्ही के साथी हो। तुम इनके साथ आये हो तो इसका दंड भी इन्ही के साथ भोगोगे।

जो जैसो के साथ रहता है उसे वैसा ही समझा जाता है। बुरे लोगो के साथ में रहने तथा बुरा न भी करने वाले को भी बुरा ही समझा जाता है और वह भी समान दंड का अधिकारी होता है। इस प्रकार उपद्रवी चिडियों के साथ भर रहने मात्र से बेचारे हंस को भी बंधन में रहना पड़ा। Kisan or Saras Ki Kahani

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