Kabootar or Chinti ki Kahani-कबूतर और चींटी की मित्रता की कहानी

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Kabootar or Chinti ki Kahani
Kabootar or Chinti ki Kahani

दोस्तों अक्सर ही जब भी हम किसी दुसरे की मदद करते है तो भगवान भी हमारी मदद करने के लिए किसी न किसी को भेज देता है। इसी विषय पर हमारी आज की कहानी Kabootar or Chinti ki Kahani निर्धारित है। जिसमे एक कबूतर एक चींटी की जान बचाता है जिसके बदले में चींटी भी उसकी जान बचाती है। चलिए कहानी को विस्तार से जान लेते है।

Kabootar or Chinti ki Kahani – कबूतर और चींटी की मित्रता की कहानी

एक जंगल में नदी के किनारे एक पीपल का बड़ा विशाल वृक्ष था। वह पीपल का पेड़ अनेक पक्षियों और जीवो का घर था अनेक पक्षी और जानवर जैसे बन्दर चिड़ियाँ, तोते और तरह तरह के पक्षी उस पेड़ पर रहते थे।

वह वृक्ष नदी के किनारे था, जिसके कारण और भी बड़े जानवर उसकी शीतल छाया में आराम करने आ जाते थे।  उस पेड़ पर एक कबूतर भी रहता था जो बेहद ही दयालु स्वभाव का था।

बरसात के दिन थे कई दिनों से तेज़ बारिश हो रही थी जिस कारण चारो तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा था। बारिश कुछ देर पहले ही बंद हुई थी, कबूतर हमेशा की तरह पीपल की डाल पर बैठा था। Kabootar or Chinti ki Kahani

डालपर बैठे – बैठे उसने नीचे देखा कि नदी के पानी में एक चींटी बहती हुई जा रही है। वह बेचारी बार – बार किनारे आना चाहती है; किंतु पानी की तेज धारा उसे बहाये लिये जा रही है। ऐसा लगता है कि चींटी कुछ क्षणों में ही पानी में डूबकर मर जायगी। 

कबूतर को दया आ गयी। उसने मन ही मन सोचा इस चींटी का जीवन बचाना चाहिए अन्यथा यह बेचारी मर जाएगी। यही सब सोचते-सोचते उसे एक युक्ति सूझी। वह तेजी से उडकर गया और पीपल के पेड़ के नीचे से एक पीपल का सूखा पत्ता उठाकर अपनी चोंच में दबा लिया। 

कबूतर तेजी से उडकर गया और उस पत्ते को ठीक चींटी के आगे पानी में डाल दिया। चींटी उस पत्ते पर चढ़ गयी। पत्ता बह कर नदी के किनारे लग गया। Kabootar or Chinti ki Kahani  पानी से बाहर आकर चींटी कबूतर की प्रशंसा करने लगी और कबूतर को अपने प्राण बचाने के लिए धन्यवाद करने लगी।

देखते देखते बरसात के दिन गुजर गये। कुछ दिन बाद जंगल में एक बहेलिया आया वह पक्षियों को जाल डालकर पकड़ता था और उन्हें पिंजरे में बंद करके शहर ले जाकर बेच देता था। बहेलिया जंगल में घूम-घूम कर पक्षियों के घोसले खोज रहा था, जिससे वह वहां पर जाल लगा सके और पक्षियों को पकड़ सके।

बहेलिये ने एक बांस के सहारे अपने जाल को फंसाया जिससे वह बांस की मदद से पक्षियों को पकड़ सके। घूमते घूमते बहेलिया पीपल के पेड़ के नीचे आ गया उसने देखा पेड़ पर अनेक पक्षियों के घोसले है। उसे समझते देर न लगी कि पेड़ पर अनेक पक्षी है।

उसने अपने जाल को बांस में फंसा लिया और पक्षियों को देखने लगा कबूतर ने बहेलिये को नही देखा था बहेलिया धीरे धीरे अपने बांस को कबूतर के पास लाने लगा। अचानक चींटी की नजर बहेलिये की तरफ गई और उसने देखा बहेलिया कबूतर को जाल में फंसाने के लिए बांस को धीरे धीरे कबूतर के पास ले जा रहा हैKabootar or Chinti ki Kahani

अब चींटी अपने दोस्त कबूतर की मदद करने के लिए पेड़ की ओर दौड़ी। वह बोल सकती तो अवश्य पुकारकर कबूतर को सावधान कर देती ; किंतु बोल तो वह सकती नहीं थी। अपने प्राण बचाने वाले कबूतर की रक्षा करने का उसने विचार कर लिया था।

पेड़के नीचे पहुँचकर चींटी बहेलिये के पैर पर चढ़ गयी और उसने उसकी जाँघ में पूरे जोर से काट लिया । चींटी के काटने से बहेलिया बड़े जोर से चिल्लाया और चिल्लाने की वजह से उसका बाँस हिल गया। बांस हिलने के कारण कबूतर सजग हो गया और तेजी से पेड़ पर से उड़ गया। जो संकट में पड़े लोगों की सहायता करता है, उसपर संकट आनेपर उसकी सहायता का प्रबन्ध भगवान् अवश्य कर देते हैं।

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