ईश्वर ने दुनिया में सभी को एक न एक ऐसी खूबी दी है जो दुसरो में नही है जिसके चलते उसकी एक अलग पहचान होती है कुछ इसी प्रकार की आज की हमारी कहानी है जिसमे एक कौवे और कुछ हंसो का जिक्र है Hans Aur Kauve ki Kahani कौवा हमेशा से ही चालाक पक्षियों में गिना जाता है लेकिन हंस शांत और सरल रहते है तो आखिर क्या है पूरी कहानी चलिए जानते है :-
Hans Aur Kauve ki Kahani – हंस और कौवे की कहानी – Panchtantra Stories
बहुत समय पहले की बात है एक राज्य में कौवा रहता था वह बहुत चालाक था,इधर-उधर घूमता रहता और अपना पेट भरना ही उस का प्रमुख कार्य था जिसके कारण उसकी सेहत अन्य पक्षियों की तुलना में बेहतर थी। इसी वजह से वह अन्य पक्षियों पर अपना रौब जमाए रखता था।
कौवे के दिन इसी तरह आराम से बीत रहे थे। बीच आश्विन मास में राज्य के मानसरोवर तालाब में रहने के लिए सुंदर हंसों के कुछ जोड़े आए और मानसरोवर तालाब में रुक गए राज्य के शांतिपूर्ण माहौल से वह बहुत प्रभावित हुए और हंस हंसिनियो ने सोचा कि दो-चार दिन विश्राम करने के बाद यहां से आगे की यात्रा प्रारंभ करेंगे।
सभी हंसों ने नदी के पास रुक कर रात्रि व्यतीत की अगले दिन सभी ने मिलकर भोजन का प्रबंध किया और प्रेम से भोजन करके अपनी भूख मिटाई। जब इस बात की जानकारी कौवे को हुई कि कुछ हंस आए हुए हैं तो कौवे ने सोचा क्यों ना हंसो से संपर्क किया जाए।
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कौवा तुरंत हंसों के पास उड़ कर पहुंचा और सभी हंसों से मुलाकात की। आपसी बातचीत के दौरान कौवे ने लंबी लंबी डींगे मारनी प्रारंभ कर दी। स्वभाव के अनुसार हंस बिना किसी छल कपट के कौए की सभी बातें सुनते रहे। Hans Aur Kauve ki Kahani
कौवे ने पूछा- “आप लोग कितनी प्रकार की उड़ाने उड़ लेते हैं।”
हंसों ने कहा- “हम लोग एक ही प्रकार की उड़ान उड़ते हैं,तुम हम हंसों की तरह कहां उड़ पाओगे।”
कौवा बोला- “मुझे आप लोगों की तुलना में ज्यादा अच्छी तरह उड़ना आता है आप मेरी एक उड़ान का जवाब नहीं दे पाएंगे,कौवा पुनः बोला मैं 101 प्रकार की उड़ान उड़ लेता हूं। अगर आप लोग देखना चाहे तो बताइए और यदि आप लोगों में से कोई भी मेरे साथ उड़ना चाहे तो आ जाए।” हंस अपने स्वभाव के अनुसार शांत थे और कहा- “हम लोग बहुत अधिक थके हैं इसलिए आराम करेंगे।”
कौवे ने फिर कहा – “मुझसे बड़ा शरीर होते हुए भी डरते हो,अरे मैं तो सौ योजन तक रुके उड़ने की हिम्मत रखता हूं इसके बाद हंसों ने कहा अगर आप उड़ना ही चाहते हैं तो मैं आपकी उड़ान देख लेता हूं।”
अब क्या था कौवा और हंस की शर्त मंजूर हो गई दोनों उड़ने को तैयार हो गए हंस ने अपने साथियों से कहा-“मैं अभी आता हूं हंस और कौवा कुछ दूर उड़ने के बाद कौवे ने हंस से कहा-” आप मेरी उड़ान देखते रहिए।”
इस पर हंस ने बड़े प्रेम से कहा-“आप अपनी उड़ान का प्रदर्शन करते चले मैं देख रहा हूं।” कौवा अपनी उड़ान दिखाता चला जा रहा था।
Hans Aur Kauve ki Kahani 4-5 मील उड़ने के बाद कौवा थक गया लेकिन हंस से कह भी नहीं पा रहा था कि मैं थक गया हूं कौवे ने नीचे देखा तो नीचे बहुत बड़ी झील दिखाई पड़ी। उसे लगा कि मैं उड़ते उड़ते झील में गिर जाऊंगा,कौवे की थकान बढ़ती ही जा रही थी उसके पंखों की गति कम होने लगी। परंतु हंस पूर्व की ही तरह उड़ रहा था।
कौवे ने हंस से कहा-“मित्र ! मुझे बचाओ मैं अब बिल्कुल नहीं उड़ पाऊंगा,मैं बहुत थक चुका हूं जवाब में हंस ने कहा-“अभी तो तुम 101 प्रकार की उड़ान दिखाने वाले थे वह तो अभी दिखाई ही नहीं दी।”
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कौवे ने कहा-” मैंने आपके साथ उड़ने की बहुत बड़ी भूल की मेरा तो यह शरीर सिर्फ जूठन खाकर ही बसर कर सकता है,मैंने यह नहीं सोचा था कि अन्य पक्षी भी अच्छा उड़ लेते होंगे मुझे माफ कर दे मैं बहुत शर्मिंदा हूं।”
यह कहते-कहते कौवे के पंख चलना बंद हो गए वह नीचे झील में गिरने को हुआ परंतु हंस ने कौवे को अपने पंजो से पकड़ लिया और उड़ चला इसके बाद कौवे को लेकर हंस अपने दोस्तों के पास पहुंच गया। कौवे ने हंसों से माफी मांगी और कहा_”अब मैं कभी घमंड नहीं करूंगा मुझे आप सब माफ कर दें।”
शिक्षा : हमे कभी भी घमंड नही करना चाहिए। घमंड और अभिमान हमेशा ही व्यक्ति के अपमान का कारण बनता है|
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