इतिहासकारो का कहना है की राजस्थान का इतिहास खून से रंगा है इसलिए यहाँ की मिट्टी लाल है यहाँ की गौरव गाथाये त्याग और बलिदान से भरी हुई है यहाँ अनेको राजपूत राजाओ ने राज्य किया है और उनके शौर्य की गाथाये यहाँ बच्चे बच्चे की जुबान पर मौजूद है यहाँ वीर पराक्रमी महाराणा प्रताप की कथा भी सुनने को मिल जाएगी| इसके अलावा और भी कई राजाओ की कथा सुनने को मिलेगी,आज हम आपको राजा रतनसिंह और अलाउद्दीन खिलजी के युद्ध की कथा सुनाने जा रहे है जिस युद्ध में Gora Badal ki Katha – दो वीर राजपूत गोरा बादल की कथा सुनाएगे इन्होने युद्ध में अपनी एहम भूमिका निभाई थी |
Gora Badal ki Katha – दो वीर राजपूत
राजस्थान का एक जिला है चितौड़ | यह मेवाड़ के राणाओ की राजधानी रही है |यहाँ के खंडहर आज भी इसके गौरव की कहानियां सुनाते है यहाँ का विजय स्तम्भ यहाँ का जीता जगता उदहारण है |
चौदहवी शताब्दी के शुरू में चितौड़ पर राणा रतनसिंह का राज्य था| उनकी पत्नी पियानी बहुत सुन्दर थी उन्हें रानी पद्मावती के नाम से भी जाना जाता है | उनकी सुंदरता की चर्चा सारे देश में थी |
दिल्ली के बादशाह अलाउद्दीन खिलजी ने भी रानी के सौन्दर्य की कथा सुनी और उसके सौन्दर्य की कथा सुनकर ही वह उन्हें पाने के लिए उत्सुक हो गया | और उन्हें पाने की लालसा में खुद को रोक न सका | उसने चितौड़ पर चढ़ाई कर दी लेकिन चितौड़ के वीरो के सामने उसकी एक न चली लेकिन उसने धोखे से राजा रतनसिंह को बंदी बना लिया |
उसने चितौड़ के सामने शर्त रखी की अगर तुम अपने राजा को सुरक्षित देखना चाहते हो तो रानी पियानी को मेरे पास भेज दो,बदले में हम राजा रतनसिंह को मुक्त कर देंगे | Gora Badal ki Katha – दो वीर राजपूत यह सन्देश पाकर अन्य राजपूतो का खून खौल उठा उन्होंने अपनी तलवारे म्यानो से निकाल ली |
लेकिन रानी ने सबको रोका और एक योजना बनाई की वह सौ डोलियों में बैठ कर अपनी सहेलियों संग खिलजी के पास जाएगी और राजा को मुक्त करा लाएंगी | योजना यह थी की डोलियों के कहारों की जगह वीर राजपूत सैनिक होंगे, कुछ सहेलियों के अतिरिक्त बाकि डोलो में भी सैनिक होंगे |
रानी पियानी ने अपनी प्रजा में बदले की चिंगारियां सुलगा दी थी देश पर पर मिटने की इच्छा पैदा कर दी थी, तभी दो वीर राजपूत सामने आये और बोले “माँ तू शक्ति है तू हमारी आन है हम अपनी माँ का सिर नही झुकने देंगे हम आखिरी साँस तक लड़ेंगे और तुझ पर कोई आंच नही आने देंगे और अपने रावल को भी बचा लाएँगे यह हमारा वादा है”| हमे आज्ञा दो हम ख़ून की नदियाँ बहा देंगे |
उन दोनों की बाते सुनकर सभी वीर सैनिको ने एक ऊँचे स्वर में कहा “हम रानी पद्मावती की रक्षा के लिए मर मिटेंगे पर रानी की आन पर आंच नही आने देंगे”|
योजना के अनुसार सभी तैयारी की गई सौ डोलियाँ सजाई गई और अलाउद्दीन को सन्देश भेजा गया की रानी अपनी सहेलियों संग सौ ढोलियो में आ रही है | अलाउद्दीन उत्सुकता से रानी की प्रतिक्षा करने लगा | कुछ समय बाद डोलियाँ आ पहुंची और गोरा ने आगे आकर कहा की पहले रानी कुछ समय अकेले हमारे राजा रतनसिंह से कुछ बात करना चाहती है | अलाउद्दीन ने बिना सोचे मंजूरी दे दी |
लेकिन रानी के लौटने में देरी देख उसने उत्सुकता वश डोली का पर्दा हटा दिया | Gora Badal ki Katha – दो वीर राजपूत
डोली में वीर सैनिक बैठे थे किसी भी डोली में रानी नही थी फिर क्या था,महासंग्राम छिड गया चारो तरफ मार काट और भगदड़ मच गई इसी भगदड़ के बीच राजा रतनसिंह को निकाल लिया गया | वही गोरा और बादल ने अकेले ही सैकड़ो सैनिको को मौत के घाट उतार दिया | लेकिन कुछ समय बाद गोरा दुश्मनों से घिर गया और वीरगति को प्राप्त हो गया,लेकिन उसने रानी से किया वादा पूरा किया और अपने राजा को छुड़ा लिया |
इस पराजय से बादशाह अलाउद्दीन खिलजी तिलमिला उठा उसने प्रतिज्ञा की कि वह रानी को किसी भी कीमत में पाकर रहेगा और चितौड़ को मिट्टी में मिला देगा | उसने अपनी बड़ी सेना लेकर चितौड़ पर चढाई कर दी इस बार बड़ी सेना के साथ उसके साथ तोपे भी थी |
तोपों की मार से चितौड़ की नीव हिल गई चारो तरफ अफरा तफरी मच गई | खिलजी की बड़ी सेना के आगे चितौड़ की सेना मुट्ठी भर लग रही थी,सभी वीर साहस और पराक्रम से लड़ रहे थे कुछ ही समय में सभी वीर गति को प्राप्त हो गये | दूसरी तरफ बादल भी लड़ते लड़ते शहीद हो गया |
रानी ने जब देखा कि अब पराजय संभव अहि तो उन्होंने महल के द्वार बंद करा दिए और सभी राजपूत महिलाओ को महल में एकत्र कर लिया और महल के आँगन में जौहर की आग सुलगा दी और सभी राजपूत महिलाओ को अपनी आन बचाने के लिए जौहर की आग में कूदने का सुझाव दिया | सभी वीर राजपूतानियो ने इसे स्वीकार किया और रानी संग एक एक कर जौहर की आग में कूद गई |
Gora Badal ki Katha – दो वीर राजपूत चारो तरफ मातम छा गया खिलजी पागलो की तरह रानी को चारो तरफ ढूंढ रहा था | उसने जैसे ही गढ़ का दरवाजा खोलने का आदेश दिया दरवाजा खुलते ही आग की लपटें अंदर से निकली जिसे देख कर वह भयभीत हो गया और समझ गया की रानी अब राख हो चुकी है वह पागलो की भांति हो गया था | उन्ही आग की लपटों में उसने रानी को देखा जो मुस्कुरा रही थी वही उनके बगल में उसे गोरा बादल दिख रहे थे जो उसे चेतावनी डे रहे थे की “लौट जा पापी यहाँ की किसी वस्तु पर तेरा अधिकार नही है’|
राजस्थानी लोक गीतों और गाथाओ में गोरा बादल के शौर्य और पराक्रम का बखान किया जाता है उन्हें गीतों के माध्यम से आज भी याद किया जाता है और उनके किस्से कहानियां सुनाये जाते है |
“Gora Badal ki Katha – दो वीर राजपूत गोरा”
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