आज की हमारी कहानी है Gauraiya Aur Pagal Hathi एक गौरैया और एक पागल हाथी की जो गौरैया के घोसले को जमीं पर गिरा देता है जिसकी वजह से उसके अंडे फुट जाते है। तब गौरैया अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर उसे पागल हाथी से बदला लेती है| तो चलिए विस्तार से कहानी को पढ़ते है:-
Gauraiya Aur Pagal Hathi – गौरैया और पागल हाथी की कहानी
एक घने जंगल में एक पेड़ पर एक गौरैया अपनी पत्नी के साथ अपना घोंसला बनाकर बड़े सुख के साथ रहता था। दोनों पति-पत्नी प्रातः अपने भोजन की तलाश में निकलते और सायं तक घूम फिर कर अपने घर लौट आते थे। यह क्रम काफी समय से उनका चल रहा था।
कुछ दिनों पश्चात गौरैया की पत्नी ने अंडे दिए, दोनों पति-पत्नी बड़े खुश थे अपनी संतान की प्रतीक्षा में उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था।
किंतु विधि का विधान तो कुछ और ही लिखा था। वह दोनों भोजन की तलाश में निकले हुए थे, उनके पीछे एक मस्त हाथी घूमता फिरता अपने भोजन की तलाश में उस पेड़ के नीचे आ गया। गौरैया के बच्चे अभी निकल भी नहीं पाए थे,हाथी अपने ही आनंद में वहां मस्ती लेने लगा, उसने अपनी सूढ से पेड़ की टहनी को तोड़ा तभी गौरैया का घोंसला नीचे गिर कर भूमि पर आ गया और अंडे टूट कर बिखर गए।
शाम को गौरैया और उसकी पत्नी जब वापस लौटे तो उन्होंने अपने घोसले और अंडों को देखा तो जोर जोर से रोने लगे, मगर हाथी को उनके रोने की क्या चिंता थी उसने तो अपना पेट बड़े मजे से पेड़ के पत्ते खाकर भर लिया था। Gauraiya Aur Pagal Hathi
वे दोनों अपने बच्चों के वियोग में रो रहे थे उन्हें देखकर उसी पेड़ पर एक कौवा बैठा हुआ था। उसने उन्हें सांत्वना दी और कहा-“अब रोने धोने से कुछ नहीं मिलेगा साहस से काम लो।”
उन्होंने कौवे से कहा-“हमें कोई रास्ता सुझाओ हमें इस हाथी से बदला लेना है, इसके पाप की सजा इसे अवश्य मिलनी चाहिए।
कौए ने कहा-” मुझे यह तो पता है कि इस शक्तिशाली हाथी का कोई कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता। यह कार्य थोड़ा कठिन है किंतु मेरे पास एक युक्ति है जिसके द्वारा इसे सजा दी जा सकती है।”
कौवा बोला-” मेरी एक पुरानी मित्र है मधुमक्खी!” वह कोई ना कोई रास्ता इसे सजा देने के लिए अवश्य निकालकर बताएगी।
Gauraiya Aur Pagal Hathi मुसीबत के समय मित्र ही मित्र के काम आता है तुम मेरे साथ उसके पास चलो। गौरैया को कौवे की यह राय पसंद आई और उसने सोचा यहां पर भी अकेले बैठकर क्या करें वह कौए के साथ मधुमक्खी के पास चल दिए। वह तीनों मिलकर मधुमक्खी के पास पहुंचे और कौवे ने मधुमक्खी से उनकी सारी दर्द भरी बातें बतलाई वह दोनों इस समय भी रो रहे थे।
मधुमक्खी ने सारी बात सुन कर कहा -“तुम लोग रोना बंद करो।” मैं हाथी को ऐसा पाठ पढ़ाऊंगी कि वह सारी उम्र याद करेगा। मगर तुम उस हाथी के साथ कैसे टकराओगी वह बहुत विशाल है और हमसे बहुत शक्तिशाली है। गौरैया ने पूछा।
मधुमक्खी ने कहा-“मैं हाथी के कान में अपनी सुरीली आवाज से गाना सुनाऊँगी, वह मस्त होकर झूमने लगेगा। तभी कौवा उसकी आंख में अपनी चोट मारेगा और हाथी अंधा हो जाएगा, और मैं उससे सहानुभूति दिखाकर कहूंगी कि हाथी भाई यहां से कुछ दूर पर एक पीपल का पेड़ है सुना है उसके पत्ते यदि आंखों से छू जाए तो आंखें ठीक हो जाती हैं।”
यह सुनकर हाथी मेरे साथ चलेगा बस फिर मैं उसको एक बड़े से गड्ढे के पास लेकर जाऊंगी और वह उसमें गिर जाएगा और वही तड़प तड़प कर मर जाएगा। गौरैया यह योजना सुनकर बड़ा हैरान हुआ कि इतने बड़े विशालकाय हाथी को मारने की मधुमक्खी के पास इतनी अच्छी योजना है।
योजना के अनुसार सभी ने अपने अपने कार्य करने के लिए तैयारी की अगली सुबह जब हाथी अपनी मस्ती में चूर होकर जंगल में घूम रहा था, तभी मधुमक्खी ने अपनी सुरीली आवाज से उसे मंत्रमुग्ध कर दिया।
तभी अचानक कौए ने अपनी चोंच से चोट मारते हुए हाथी की आंख फोड़ दी और योजना के अनुसार मधुमक्खी उसे अपने साथ लेकर एक बड़े से गड्ढे के पास गई और हाथी उस में गिर कर मर गया। Gauraiya Aur Pagal Hathi
हाथी की मृत्यु से गौरैया और उसकी पत्नी बहुत खुश थे। मधुमक्खी ने कहा-” अबकी बार तुम इस पेड़ पर अंडे देना यहां पर हमारा छत्ता बना हुआ है। कुछ समय पश्चात अब फिर से गौरैया की पत्नी ने अंडे दिए कुछ दिनों बाद अंडे में से छोटे-छोटे बच्चे निकले तो दोनों पति-पत्नी पुराने दुख को भूल गए और वहां सुख पूर्वक रहने लगे और अपने दोनों मित्रों को धन्यवाद दिया।
शिक्षा: बुद्धि से बड़ी से बड़ी शक्ति से टकराया जा सकता है और बुद्धि से किया गया कार्य हमेशा सफल होता है।