दोस्तों अक्सर ही हमारे बड़े हंमे सिखाते है की हमे सदा सत्य बोलना चाहिए और अपने दिए वचनों को भी अवश्य पूरा करना चाहिए । आज की हमारी कहानी का शीर्षक है Gaay or Sher Ki Kahani – जब गाय ने दिया राजा शेर को अनोखा वचन और यह कहानी भी कुछ इसी बात पर आधारित है की हमे सदा सत्य बोलना चाहिए और अपने द्वारा दिए गये वचनों को सदा निभाना चाहिए ।
वैसे तो गाय को आपने अक्सर ही शांत स्वभाव का देखा होगा, आज की हमारी कहानी में एक गाय अपने वचन को निभाने के लिए जंगल ने राजा के सामने अपने छोटे से बछड़े को लेकर पहुँच जाती है लेकिन ऐसा करने के पीछे क्या कारण था? वो तो आपको कहानी में ही पता चलेगा वैसे Gaay or Sher Ki Kahani में आखिर में शिक्षा भी मिलेगी तो चलिए कहानी में आगे बढ़ते है और जानते है कि वो क्या ऐसा वचन था जिसे निभाने के लिए गाय जंगल के राजा शेर के सामने आ जाती है ।
Gaay or Sher Ki Kahani – जब गाय ने दिया राजा शेर को अनोखा वचन
एक थी गाय । नाम था उसका नन्दा । देखने में वह भोली, मोटी और सुन्दर थी । उसका रंग सफेद था । नन्दा कई जंगल पार कर हरी-हरी कोमल घास खाकर घर शाम के समय लौटती थी। तभी वह अपने नन्हें बछड़े को मीठा-मीठा दूध पिलाती थी । उसका बछड़ा भी उसी की तरह भोला, मोटा और सुन्दर था ।
बछड़ा बड़ा भोला और शान्त स्वभाव का था। वह समझदार भी खूब था । जैसे-जैसे दिन बीतते गए, वह भी दिनों दिन बड़ा होता गया । उसका रूप निखरता गया । साथ ही उसकी समझदारी भी बढ़ती गई । प्रायः गाय शाम होते ही घर लौट आती थी । बछड़ा गाय की वाट देखता रहता था । लौट आने पर ही उसकी माँ उसे दूध पिलाया करती थी । Gaay or Sher Ki Kahani
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एक दिन जब नन्दा घास चरने के बाद घर लौटने लगी तो उसे एक भयंकर शेर अचानक कहीं से आता दिखाई दिया । नन्दा घबड़ा गई । उसके शरीर से पसीना टपकने लगा। वह भय से काँपने लगी । सामने बड़े-बड़े अदालों वाला शेर जीभ निकाल खड़ा था। उसके नाखून पैने और दाँत धार दार थे ।
शेर बोला, “मैं जंगल का राजा हूँ। मेरा नाम दारुक है। मैं कई दिनों से भूखा हूँ । आज मुझे घर बैठे अच्छा भोजन मिला है ।” इतना कहकर वह अपने ओटों पर जीभ फेरने लगा ।
नन्दा कहने लगी, “मुझे छोड़ दो । मेरा बच्चा छोटा है। वह भूखा खड़ा मेरी वाट देख रहा होगा। मुझे दयाकर घर जाने दो।
सिंह दहाड़ कर बोला, “तुमने मुझे मूर्ख समझ लिया है, जो मैं घर आया शिकार छोड़ दूँ। मैं भी भूखा हूँ। मैं तुम्हें नहीं दूंगा।”
नन्दा गिड़गिड़ाई । उसने शेर से विनती की और कहा, “मैं माँ हूँ। अपने बच्चे को दूध पिलाकर लौट आऊँगी। मैं सच कहती हूँ। तुम मुझे घर जाने दो ।” इतना कह कर नन्दा रोने लगी । उसकी आँखों में आँसू आ गए ।
यह देख शेर का दिल पिघल गया। उसने उसे यह कह कर, “कि देर मत करना, जल्दी लौटना । मैं भूखा हूँ। मैं यही खड़ा तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हूँ।” घर जाने की इजाजत दे दी ।
नन्दा तेज चाल से घर की ओर चल दी। आज उसे काफी देर हो गई थी। उसका बच्चा भूखा खड़ा । उदास मन से उसके लौटने का इन्तजार कर रहा था । नन्दा घर लौट आई । नन्दा का मन दुःखी था । उसका गला भरा था। उसकी आँखों में आँसू थे।
माँ को दुःखी देखकर बछड़े ने पूछा, “आज क्या हुआ, माँ। तुम रो क्यों रही हो? तुम्हें देर कैसे हो गई ?” Gaay or Sher Ki Kahani
नन्दा बोली, “तू जल्दी दूध । पी ले । तुझे भूख लगी होगी । आज मुझे फिर कही जाना है।” इतना कहते-कहते उसका गला भर आया ।
बछड़ा कहने लगा, “माँ, तुम अभी अभी आई हो। मैं अब तुम्हें नहीं जाने दूँगा । मैं आज दूध भी नहीं पिऊंगा पहिले मुझे पूरी बात सच-सच तू बता दे ” बछड़ा मचल गया और हठ पकड़ गया । लाचार हो नन्दा ने उसे सारी बात बता दी ।
बछड़ा सोचने लगा कि शेर मेरी माँ को खा लेगा। मेरी माँ फिर कभी नहीं लौटेगी तो उसने माँ को कहा, तु मत जा । मैं तेरे बिना कैसे रहूँगा । शेर यहाँ तो आ ही नहीं सकता फिर तुझे खायेगा कैसे ?
नन्दा बोली, “मैं शेर को लौटने का वचन देकर आई हूँ। न जाने पर सब मुझे झूठी कहेंगे और तू झूठी माँ का बेटा कहलायेगा । बोल, क्या तुझे यह पसन्द है । ”
कुछ सोचकर बछड़ा ने कहा, “माँ, जल्दी करो । शेर भूखा, तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा होगा। मैं आज दूध नहीं पिऊंगा ।”
नन्दा अपने बच्चे की बात सुन कर मन ही मन प्रसन्न हो उठी । Gaay or Sher Ki Kahani वह बछड़े को लेकर शेर के पास पहुँची। शेर एक की जगह दो को आते देख खुशी से भर उठा, उसे यह विश्वास न था कि गाय फिर वापिस यहाँ लौट कर आयेगी ।
बछड़े ने आगे बढ़कर, शेर को प्रणाम कर कहा, ” मामा, मेरी माँ अपने वचन का पालन कर आपके पास लौट आई है। वह सत्यव्रती और सत्यवादिनी है । आप कई दिन के भूखे हैं। अतः आप पहिले मुझे। खाएँ, मेरा माँस कोमल और मीठा है। वह आपको रुचिकर लगेगा । आप मुझे खाकर तृप्त हों । “
बछड़े की मीठी वाणी सुन कर शेर का हृदय बदल गया । वह बोला, “बेटा, तुमने मुझे ‘मामा’ कहा है।
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जब एक माँ अपने बच्चे को पालती है, अपना कर्तव्य पूरा करती है। पर यहाँ आज तुमने तो मुझे दो बार ‘मा मा’ अर्थात् माँ…. माँ कहा है तो मेरा कर्तव्य तुम्हारी सब प्रकार से रक्षा करना हो जाता है। फिर भला मैं तुम्हे कैसे मार सकता हूँ । तुम बहुत दिन जियो और अपनी माँ के साथ वापिस घर चले जाओ । तुम्हारी माँ, अपनी बहिन की सत्य वादिता से मैं बहुत प्रसन्न हूँ ।”
इतना कह कर शेर पलट कर वन की ओर चला गया । नन्दा अपने बछड़े को लेकर खुशी-खुशी घर लौट आई । नन्दा की सत्य निष्ठा अमर है । हमें भी इस कहानी से यह सीख लेनी चाहिए, ‘कि हम सदा सत्य बोलें और अपने वचनों का पालन करें । यही दो गुण हमें जीवन में सफल एवं महान् बनाने में सहायक होंगे। हमें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए ।
शिक्षा: इस “Gaay or Sher Ki Kahani – जब गाय ने दिया राजा शेर को अनोखा वचन” कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है, कि हमे सदा सत्य बोलना चाहिए और अपने दिए वचनों को भी अवश्य पूरा करना चाहिए ।
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