दोस्तों जंगल एक ऐसी जगह है जहाँ हमेशा ही शिकारी अपने शिकार की तलाश में रहते है कुछ यही आज हमारी कहानी में भी है जब एक सियार ने भोले भाले गधे को शिकारी शेर के आगे सौप दिया और खुद भी उस बेचारे गधे को मारकर खा गए आज की हमारी कहानी का शीर्षक है Chatur Siyar aur Sher – चतुर सियार और शेर की मनोरंजक कहानी तो चलिए एक बार विस्तार से कहानी के बारे में जान लेते है :-
Chatur Siyar aur Sher – चतुर सियार और शेर की मनोरंजक कहानी
जंगल का राजा शेर अब बूढ़ा हो गया था और स्वयं को दुर्बल मानने लगा था। अब उसको यह चिंता होने लगी थी कि रोजाना की भूख कैसे मिटेगी। उसी के लिए वह कुछ युक्तियां सोच रहा था तभी एक युक्ति सोच कर उसने सोचा सहायता के लिए मुझे कुछ नियुक्ति करनी चाहिए और राज काज चलाने के लिए सियार को बुलाया।
शेर ने सियार को बुलाकर उससे कहा-“भैया सियार! मुझे अपना राजकाज चलाने के लिए एक चतुर मंत्री की नियुक्ति करनी है और तुमसे अधिक चतुर कोई जानवर मुझे दिखाई नहीं देता इसलिए तुम मेरे मंत्री के तौर पर मेरी सहायता करो और तुम्हारा कार्य यह है कि रोजाना मेरे एक जानवर ले आओ बदले में तुम भी मज़े से यहाँ रहो और मेरे मंत्री के तौर पर जंगल पर राज करो।”
सियार चतुर तो था ही शेर को मना करने की हिम्मत उसमें नहीं थी अतः उसने कहा-“महाराज! मैं तो सदा आपकी आज्ञा पालन करने में अपना गौरव मानता हूं।”
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ऐसा कहकर सियार शेर के भोजन का प्रबंध करने जंगल में चला गया जंगल में उससे एक मोटा तगड़ा गधा दिखाई दिया Chatur Siyar aur Sher वह गधे के पास जाकर बोला-“मेरे मित्र! तुम अब तक कहां पर थे ? मैं कई दिनों से तुमको ढूंढ रहा हूं,जंगल का राजा शेर तुम्हें याद कर रहा है कि मैं तुम्हें अपना महामंत्री बनाना चाहता हूं।
अपना निर्णय सुनाने के लिए मुझे उसने तुम्हारे पास भेजा है,अब तेरी मौज मनाने के दिन आ गए हैं। अब मेरे साथ चलो और अपना पद ग्रहण करो भोला भाला गधा सियार की बातों में आ गया और शेर के पास जाने के लिए तैयार हो गया। उसने समझा कि शेर को मेरी योग्यता पर भरोसा है।
वह दोनों शेर के पास मिलने के लिए चल दिए किंतु मन ही मन गधा डर भी रहा था कि शेर इतना बड़ा शक्तिशाली जानवर मेरे साथ उसका क्या मेल कहीं मुझे मार कर खाने की कोई युक्ति तो नहीं है। जैसे ही शेर के निकट गधा पहुंचा शेर ने उसको आते ही शेर उस पर जोर से झपटा गधा तो पहले से ही सतर्क था। शेर को अपनी तरफ आते देख वह तेजी से जंगल की तरफ दौड़ा देखते-देखते जंगल में कहीं खो गया।
शेर को सियार पर बहुत गुस्सा आया वह बोला-“कैसा जानवर मेरे भोजन के लिए लेकर आए हो वह तो भाग गया।”
सियार ने कहा-” मई उसे लेकर आपके पास आ ही रहा था थोड़ा इंतजार तो करना चाहिए था आपको भी।” शेर ने सियार को पुनः डांटा और कहा जाओ जाकर उसे समझा-बुझाकर लेकर आओ।
बेचारा सियार फिर गधे को लेने के लिए गधे के पास पहुंचा और उससे कहा-“गधे भाई तुम कैसे शेर के महामंत्री हो,Chatur Siyar aur Sher जो डर के मारे भाग आए महाराज तो तुम्हारी परीक्षा ले रहे थे कि तुम डरते हो या नहीं।”
तुम कैसे महामंत्री बनोगे तुम तो इतना डरते हो। इस प्रकार की बड़ी बड़ी और मीठी बातें करके सियार ने गधे को पुनः चलने के लिए तैयार कर लिया। पुनः शेर के पास पहुंचने पर शेर पहले से ही गुस्से में बैठा हुआ था और इस बार उसने तेजी से गधे के ऊपर छलांग लगा दी और गधे की गर्दन को फाड़ दिया।
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गधा मर चुका था अब उसे खाने की तैयारी हो रही थी सियार ने कहा-“महाराज भोजन ग्रहण करने से पूर्व आप नहा आए तबतक मैं इसकी देखरेख कर रहा हूँ। शेर नहाने के लिए चला गया सियार भूखा था और मौका देखते ही गधे के सिर से उसका दिमाग निकालकर सियार खा गया।
शेर ने जब आकर देखा कि गधे का सिर फटा हुआ है और दिमाग नहीं है उस कहा कि कौन आया था और गधे का दिमाग किसने खाया?
सियार ने शेर को उत्तर दिया-“महाराज !अगर गधे के सिर में दिमाग होता तो वह पुनः आपके पास आने की बात कैसे मानता। शेर ने भी सियार की बात को ठीक समझ कर भोजन करना शुरू कर दिया वहीं दूसरी तरफ सियार ने भी जाकर अपना हक जमाना शुरू कर दिया और दोनों ने मिलकर गधे को मारकर खा लिया। Chatur Siyar aur Sher
शिक्षा :- हमे सदा अपनी बुद्धि से कार्य करना चाहिए और अंजान लोगो पर आसानी से विश्वास नही करना चाहिए।
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