दोस्तों आज मैं आपके लिए एक और प्रेरणादायक कहानी लेकर आय हूँ आज की कहानी का शीर्षक है “Chaar Chor Ki Kahani – चार चोरो की कहानी” आज की कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे चार चोर जो मिलकर चोरी करते थे लेकिन लालच में आकर किस प्रकार से सबने आपस में ही अपने साथियों को मारने का निर्णय कर लिया और किस तरह से सबका अंत हुआ तो चलिए विस्तार से जानते है:-
Chaar Chor Ki Kahani – चार चोरो की कहानी – Panchtantra Stories
चार चोर थे, चारों ही मिलकर चोरी करते थे और जो भी माल मिलता था उसे आपस में बांट लिया करते थे।
वह सब चोरी तो इकट्ठे होकर ही करते थे लेकिन,वह सभी बड़े स्वार्थी थे। हर एक चोर यही सोचता रहता था कि किसी दिन मोटा माल हाथ लगे तो अपने बाकी साथियों को मार कर सारा माल स्वयं ही हथिया लूंगा। अगर आज तक ऐसा मौका नहीं आया था। एक रात उन्होंने नगर के बड़े सेठ के यहां सेंध लगाई।
Chaar Chor Ki Kahani उनके हाथ बहुत माल लगा, उन्होंने सारा धन एक थैले में भरा और उसे लेकर जंगल की ओर भाग निकले। दो दिन तक वे भूखे प्यासे जंगल में छिपे रहे,वे जानते थे कि नगर सेठ के यहां सेंध लगाने की वारदात से शहर के चप्पे-चप्पे पर पुलिस फैल गई होगी। वे अभी कुछ दिन और जंगल में ही छिपे रहना चाहते थे।
मगर मजबूरी यह थी कि उनके पास खाने-पीने का कोई भी सामान नहीं था। जहां तक संभव हो सका उन्होंने भूख बर्दाश्त की लेकिन अब भूख बर्दाश्त से बाहर हो रही थी। अब उन्हें भोजन की बहुत आवश्यकता थी।
मगर जब भूख बर्दाश्त से बाहर हो गई तो उन्होंने फैसला किया कि उनके दो साथी शहर जाकर वहां का माहौल देख आए और खाना भी ले आए। सभी ने आपस में मिलकर सलाह की और सारी बातों को सुनिश्चित कर उनमें से दो शहर की ओर चल दिए और दो चोरी के माल की रखवाली के लिए जंगल में ही रुक गए।
शहर जाकर दोनों चोरो ने खूब जमकर खाया और दोनों ने योजना बनाई कि वह अपने दो साथियों को ठिकाने लगाकर सारा माल खुद ही हड़प लेंगे और आपस में सारा माल बाँट लेंगे।
अतः उन्होंने अपने दोनों साथियों जो जंगल में ठहरे हुए थे उन्हें मारने का निश्चय कर लिया। उन्होंने अपने साथियों के खाने में जहर मिला दिया। उनमें से भी प्रत्येक यही सोच रहा था कि जब हम दो रह जाएंगे Chaar Chor Ki Kahani तब में बचे हुए एक साथी को भी मारकर मैं अकेला ही सारा माल हथिया लूंगा।


इधर जंगल में दोनों चोरों ने खाने का सामान लाने गए अपने साथी चोरों की हत्या कर डालने की योजना बना ली थी। वे भी उन्हें अपने रास्ते से हटा कर सारा माल आपस में बांट लेना चाहते थे।
चारों चोरों ने दो-दो टोली बनाकर अपनी अपनी योजनाओं के अनुसार कार्य किया पहली टोली जैसे ही शहर से भोजन लेकर जंगल पहुंची। जंगल में मौजूद दोनों चोरों ने अपने साथी चोरो पर हमला कर दिया। उन्होंने लाठियां बरसा कर उनकी जान ले ली। फिर वह निश्चिंत होकर भोजन करने बैठ गए। मगर जहरीला भोजन खाते ही वे दोनों भी तड़प तड़प कर मर गए।
शिक्षा : इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की हमे लालच नही करना चाहिए और कभी भी अपनों से छल कपट नही करना चाहिए|
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