दोस्तों कहते है संगती का असर सीधा आपके मस्तिष्क पर असर करता है जिससे आप यदि अच्छी संगती में है तो वह आपके लिए अच्छा है लेकिन यदि आप किसी गलत संगती में रहते है तो वह आपके लिए हानिकारक सिद्ध होता है कुछ ऐसा ही आज की कहानी का शीर्षक है “Brahman or Tote ki Kahani – जब विद्वान ब्राह्मण ने तोते को ज्ञान दिया”
आज की हमारी कहानी एक तोते और एक ब्राह्मण पर आधारित है । कहानी के अनुसार एक ब्राह्मण के पास एक तोता होता है वह ब्राह्मण उस तोते को बहुत अच्छी-अच्छी बातें सिखाता है साथ ही उसे शिकारी से बचने के लिए एक ख़ास मन्त्र सिखाता है जिसे सुनकर शिकारी तोते का शिकार नहीं कर पाते है तो आखिर वह मन्त्र क्या है चलिए कहानी में आगे बढ़ते है और जानते है ।
Brahman or Tote ki Kahani – जब विद्वान ब्राह्मण ने तोते को ज्ञान दिया
किसी विद्वान ब्राह्मण ने एक बार एक तोता पाला । वह तोते को दिन भर पिंजड़े में बन्द रखता था । वह उसे वहीं भोजन देता, खिलाता और उससे अपना मन बहलाता था । तोता कभी-कभी आकाश में उड़ते हुए पक्षियों को देखकर पिंजड़े में से निकलने की कोशिश करता पर बेचारा विवश हो मन मारकर वहीं पिंजड़े में ही इधर-उधर घूम कर रह जाता । वह पिंजड़े से बाहर नहीं आ पाता था ।
एक दिन उस विद्वान व्यक्ति को उसकी दशा देख कर दया आ गई। वह तोते को छोड़ने को तैयार हो गया, यकायक उसके मन में विचार आया कि ऐसे तो फिर व्याध इसे पकड़ लेगा । अतः इसे सिखा-पढ़ा कर छोड़ना चाहिए ताकि फिर यह कभी शिकारी के जाल में न फँस सके। Brahman or Tote ki Kahani
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बस उस दिन से उस विद्वान व्यक्ति ने तोते को सिखाना-पढ़ाना शुरू कर दिया । तोता कुछ ही दिनों में सिखाई गई सारी बात सीख गया। वह उस विद्वान ब्राह्मण की सिखाई गई सारी बात वह तोता जोर-जोर से दोहराने लगा। जब उस विद्वान ब्राह्मण को पूरा विश्वास हो गया कि अब तोता अपनी बात ठीक से बोलने लगा है, तब ब्राह्मण ने उसका पिंजड़ा खोल दिया ।
तोता उड़कर पेड़ पर जाकर बैठ गया । वह याद किये पाठ बोलने लगा “शिकारी आयेगा, जाल फैलायेगा दाना डालेगा, हमें फँसायेगा, पर हम नहीं फसेंगे ।” यह देख, सुन कर ब्राह्मण बहुत प्रसन्न हुआ । तोता उड़ कर जंगल में चला गया। वह वहाँ अपने तोतों के झुण्ड में जाकर मिल गया । तोने ने वन में पेड़ पर बैठ कर अपना याद किया हुआ पाठ दोहराना शुरू कर दिया ।
कई तोते भी अब उसके साथ वह पाठ दोहराने लगे। कुछ ही दिनों में जंगल के सारे तोतों ने यही पाठ याद कर लिया। वैसे भी तोते में सुन कर याद करने की शक्ति सब जीवो से अधिक होती है। अब तो जंगल के सभी तोते एकसाथ एक ही स्वर में यही पाठ दोहराने लगे । सारा जंगल तोतो के बोलने से गूंज उठा । सभी मिलकर चिल्लाने लगे “शिकारी आयेगा, जाल फैलायेगा, दाना डालेगा, हमें फँसायेगा पर हम फसेंगे नहीं ।”
Brahman or Tote ki Kahani उस वन में वहेलियों का एक बड़ा परिवार अक्सर अपने जाल फैला कर चिड़ियों को, विशेष कर तोतों को फंसाया करता था । उनकी रोजी-रोटी इन्हीं पक्षियों को बेच कर चलती थी । उनकी आय का एकमात्र यही साधन था ।
सभी वहेलिए जब वन में अपने जाल लेकर आये तो उन्होंने वहाँ सभी तोतों को पेड़ों पर बैठे यह गाते सुना- “शिकारी आयेगा, जाल फैलायेगा, दाना डालेगा, हमें फँसायेगा पर हम नहीं फँसेंगे ।” वे घबड़ा उठे, उन्होंने अपने-अपने जाल परेशान होकर अपने घर की खूँटियों पर टाँग दिए । उन्होंने सोचा कि अब जंगल के सारे पक्षी होशियार हो गए हैं। वे हमारे जाल में नहीं फसेंगे। वे सभी बड़े उदास और चिन्तित रहने लगे ।
कई दिन तक उनके घरों में चूल्हे नहीं जले, खाना नहीं पका । सभी लोग भूखे उठे और भूखे सोए उन्होंने अपने मकान गाँव आदि सब कुछ छोड़ कर दूसरे स्थान पर जाने का निश्चय कर लिया वे अपना अपना सामान बाँध कर अन्यत्र जाने की तैयारी कर ही रहे थे तभी अचानक उनके बूढ़े बाबा तीर्थ यात्रा से लौट कर आ गए। यह दृश्य देख कर वे बोले, “यह क्या हाल चाल बना रक्खा है । सब रोनी सूरत लिए कहाँ जाने की तैयारी कर रहे हैं ?”
उन्होंने बाबा को सारी बात बताई। बाबा हँस पड़े और कहने लगे, ” बेटो, तोते तो तोते ही होते हैं। वे रटना जल्दी सीख लेते हैं। उन्हें कहने दो। तुम अभी जंगल में जाकर दाना डालो और अपने जाल फैलाओ । देखो, तोते अवश्य आकर फँसेंगे। वे जंगल में गए। उन्होंने दाने बिखेरे, जाल फैलाए । Brahman or Tote ki Kahani
धीरे-धीरे एक एक कर के तोते आने और फँसने लगे । तोते बोलते जाते थे उतरते जाते थे, और जाल में फँसते जाते थे । वहेलियों ने जाल खींचा तोते शिकारी के जाल में फंस गए पर वे सब अभी भी बराबर यही बात बोले जा रहे थे।
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“शिकारी आयेगा, जाल फैलायेगा, दाना डालेगा, हमें फँसायेगा पर हम नहीं फँसेंगे।” सभी बहेलिए बहुत खुश हुए आज कई दिन बाद उन्होंने एक साथ सभी ने कई-कई तोते पकड़े थे। उन्हें ब्राह्मण की बताई हुई बात याद आ रही थी” कि तोते तो तोते ही होते हैं। उन्हें रटने की आदत होती है। वे रटी बात बहुत जल्दी ही बोलना सीख लेते हैं।” साथ ही उन्हें अपनी मूर्खता पर हँसी भी आ रही थी सच है- ‘हमें आनी बुद्धि का उपयोग करना चाहिए।
शिक्षा: आज की कहानी “Brahman or Tote ki Kahani – जब विद्वान ब्राह्मण ने तोते को ज्ञान दिया” से हमे यह शिक्षा मिलती है कि हमे तोते की तरह एक बात ही रटनी नही चाहिए, समय और परिस्तिथि देखकर ही हमे बोलना चाहिए।