दोस्तों आपने अक्सर ही बचपन में चालक बनिए की कहानी जरुर ही पढी और सुनी। यह बनिए हमेशा से ही चालाक और लालची प्रवृति के होते थे तो आज मैं भी आपके लिए एक Brahman or Baniya ki Kahani – ब्राह्मण और बनिए की कहानी लेकर आया हूँ।
कहानी के अनुसार एक सीधे साधे ब्राह्मण को बनिया अपनी चतुराई से लुटता है और लूटने का भी तरीका कुछ ऐसा है जो की आप सुनकर हैरान हो जायेंगे, तो चलिए कहानी में आगे बढ़ते है और जानते है कि आखिर कैसे एक सीधे साधे ब्राह्मण को वह बनिया लूटता है और राजा किस प्रकार से न्याय करते है। Brahman or Baniya ki Kahani
Brahman or Baniya ki Kahani – ब्राह्मण और बनिए की कहानी
एक बार की बात हैं एक नगर में धनिया नाम का लालची बनिया रहता था। उसके पास मीठे पानी का एक कुआँ था। वह अक्सर ही सीधे-साधे लोगो को अपनी चतुराई से लूटा करता था। एक दिन एक सीधे ब्राह्मण ने कुएँ को खरीदने की इच्छा जताई।
बनिए को ब्राह्मण का प्रस्ताव पसंद आया उसने मन में विचार किया क्यों न कुएं के सहारे ही लाभ कमाया जाये, यह सोचकर बनिए ने वह कुआँ उस ब्राह्मण को बेच दिया। अगले दिन ब्राह्मण उस कुएं से पानी भरने पहुँचा तो बनिया ने कहा-अरे ब्राह्मण ! रुको तुम कुएं से पानी नही भर सकते हो। Brahman or Baniya ki Kahani
ब्रह्मण ने जवाब दिया- मान्यवर ! यह कुआं तो मैंने आपसे कल ही तो ख़रीदा थ अब इसका मालिक तो मैं हूँ, तो भला मैं स्वयं ही कुएं से पानी क्यों नहीं भर सकता हूँ।
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ब्राह्मण की बात सुनकर बनिया बोला- हाँ हाँ याद है, ‘कुआँ तो तुम्हारा ही है। लेकिन तुम इस कुएँ से पानी नहीं भर सकते। तुमने मुझसे कुआँ खरीदने की बात कही थी और मैंने तुम्हें कुआँ ही बेचा था। कुएँ का पानी तो मेरा ही है। तुम केवल कुएं के मालिक हो। में कुएँ के पानी का मालिक हूँ।
अगर तुम्हें कुएँ में से पानी लेना हो, तो एक बाल्टी पानी के लिए पचास रुपये देने होंगे। यह सुनकर ब्राह्मण बहुत दुखी हुआ।
ब्राह्मण दुखी मन से राजा के पास पहुँचा और अपने साथ हुए अन्याय को बताकर न्याय के लिए प्रार्थना करने लगा। राजा ने सारी बात ध्यान से सुनने के बाद बनिया को बुलाया और पूछा क्यों भई बनिए ! Brahman or Baniya ki Kahani जब ब्राह्मण ने तुमसे कुआं खरीद लिया तो फिर तुम कुएं के मालिक कैसे हुए।
राजा की बात सुनकर बनिया बोला- ब्राह्मण ही कुएँ का मालिक है महाराज! लेकिन ब्राह्मण ने मुझसे केवल कुआं ही तो ख़रीदा था, उस कुएँ के पानी का मालिक तो मैं ही हूँ।
राजा बनिया की बेईमानी को समझ गया। उसने बनिए से पूछा- ‘वह कुआँ तो ब्राह्मण का है न? और उस कुएं का पानी, आपका है?’
राजा की बात सुनकर बनिए बड़ा खुश हुआ और खुश होकर बोला- ‘जी महाराज !,
अब राजा बोला-‘जब कुआं ब्रह्मण ने खरीद लिया और अब कुएं का मालिक वह ब्राह्मण है तो आपने अपना पानी ब्राह्मण के कुएँ में क्यों रखा हुआ है? आप अपना सारा पानी वहाँ से निकाल लें। जब तक पानी की एक बूंद भी उस कुएँ में रहगी, आपको प्रतिदिन किराए के रूप में पाँच सौ रुपए ब्राह्मण को देने होंगे। Brahman or Baniya ki Kahani
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राजा का न्याय सुनकर बनिया बिल्कुल हक्का-बक्का रहा गया और ब्राह्मण राजा के न्याय से खुश हो गया। अब बनिए को राजा की बात समझ आ गयी वह समझ गया कि उसकी बेईमानी अब राजा के सामने खुल चुकी है अब बनिया राजा के चरणों में गिरकर माफ़ी माँगने लगा।
मुझे क्षमा कर दीजिए महाराज ! मुझसे गलती हो गयी मैंने लालच में आकर ऐसा अपराध कर दिया मुझे क्षमा कर दीजिए, मैं भविष्य में कभी फिर ऐसी गलती नहीं करूँगा। बनिए की बात सुनकर राजा बोला-‘ इस बार तो तुम्हें माफ करता हूँ, लेकिन दोबारा किसी को इस तरह परेशान किया तो कारागृह डलवा दूंगा।’ राजा के न्याय से ब्राह्मण को न्याय मिला और ब्राह्मण राजा की जय जय कार करता हुआ महल से अपने घर चला गया। Brahman or Baniya ki Kahani
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