Birbal ki Chaturayi – बीरबल की चतुराई जब बादशाह ने ली बीरबल की परीक्षा

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Birbal ki Chaturayi
Birbal ki Chaturayi

बादशाह अकबर और बीरबल की कहानियां आपने बहुत सुनी होगी और पढ़ी होगी अकबर और बीरबल की कहानियों और किस्सों की तो गिनती ही नही है लेकिन फिर भी हमे अकबर और बीरबल की कहानी पढना अच्छा लगता है | तो चलिए बढ़ते है आज की कहानी की तरफ जहाँ आज मैं आपके साथ शेयर करने जा रहा हूँ बीरबल की चतुराई Birbal ki Chaturayi की एक कहानी जब बीरबल बीमार हो गये थे और अकबर उनकी परीक्षा लेने को उनके घर गये थे |

Birbal ki Chaturayi – बीरबल की चतुराई जब बादशाह ने ली बीरबल की परीक्षा

एक बार आश्विन के महीने में बीरबल बीमार पड़ गए जिस कारण महीनों दरबार में नहीं आया। एक दिन बादशाह को उसे देखने की इच्छा हुई। वह दो कर्मचारियों के साथ बीरबल के घर गये। बीरबल बादशाह को देख कर बड़े प्रसन्न हुए |

वे आपस में बड़ी देर तक बार्तालाप करते रहे न बीरबल बादशाह को छोड़ना चाहता था और न बादशाह बीरबल को ही, बातचीत में कई घंटों का समय व्यतीत हो गया। इसी बीच बीरबल ने पखाने के लिए बादशाह से इजाजत मांगी। ऐसी विवशता के कारण वह बादशाह से कुछ देर की मुहलत लेकर बगल की एक कोठरी में पखाने के लिए गये।

इस बीच बादशाह के मन में बीरबल के बुद्धि की परीक्षा लेने की बात सूझी, इस ख्याल से कि बीरबल महीनों से बीमार है; शायद उसकी चतुराई Birbal ki Chaturayi में कुछ कमी तो नही आ गयी है। जानना चाहिये कि अब यह कितना चतुर रह गये है। बादशाह ने नौकरों को आदेश दिया और बीरबल के पलंग के चारों पाए तले चार कागज के टुकड़े रख दो और स्वयं खामोशी से बैठ गये।

थोड़ी देर बाद बीरबल पखाने से लौटकर आये और अपनी पलंग पर बैठ गये। बादशाह उसकी परीक्षा के विचार से इधर उधर की बातें छेड़कर उसे बहलाने लगे। बीरबल बादशाह के इस बदले अंदाज को भांप चुके थे| वह एक तरफ बादशाह की बात सुनते जा रहे थे दूसरी तरफ किसी चीज की खोज में व्यस्त था।

वह ऊपर नीचे इस प्रकार से देख रहे थे मानों किसी चीज की खोज कर रहे हो। अचानक उनकी नजर अपने पलंग के पाए पर गई वह सब समझ गए|  बादशाह ने उसकी उसक खोजभरी निगाहों को पहचानते हुए उसके इस तरह इधर उधर देखने का कारण पूछा। बीरबल ने कहा-“जहाँपनाह ! ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ पर कुछ फेर बदल हो गया है ?

वे अनजान सा मुँह बनाकर बोले-“क्या फेर बदल हुआ है।”

बीरबल ने उत्तर दिया-मुझे मालूम होता है कि या तो इस मकान की दिवार कागज भर नीचे को दब गई है या फिर मेरी पलंग एक कागज ऊँची हो गई है। बादशाह ने कहा-हाँ हाँ अक्सर देखा जाता है कि बीमारी की दशा में निर्बलता के कारण लोगों के दिमाग में तुम्हारे समान ही विचार आ जाता है परन्तु दरअसल में यह बात ठीक नहीं रहती।”

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बीरबल ने उत्तर दिया-“जहाँपनाह ! ऐसा नहीं हो सकता, मैं बीमार हूँ लेकिन मेरी बुद्धि बीमार नहीं  है।” बादशाह बीरबल की पहले ही सी चतुराई Birbal ki Chaturayi देखकर बड़ा प्रसन्न हुए और उससे असली भेद प्रकट कर दिया।

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