एक जंगल में तालाब के किनारे एक बगुला रहता था और उस तालाब में अनेको सुन्दर सुन्दर मछलियाँ,मेंढक और अनेक प्रकार के जलीय जीव रहते थे,साथ ही उस तालाब में एक केकड़ा भी रहता था | बगुला उस तालाब की मछलियों को पकड़ कर खाया करता था और इसी प्रकार से मौज से उसकी जिन्दगी कट रही थी | धीरे धीर समय बीतता गया अब वह बगुला बुढा हो गया अब उसमे पहले जैसी चुस्ती और फुर्ती नही रह गई जिस कारण अब वह मछलियों का शिकार आसानी से नही कर पता था | Bagula aur Kekda ki kahani
अब उसे चिंता होने लगी थी कि वह अपनी भूख कैसे मिटाएगा ? उसने एक योजना बनाई वह तालाब के किनारे एक पैर पर खड़ा हो गया और शांत होकर सब देखने लगा उसने यह क्रम कुछ दिन किया|
अब मछलियाँ उसे देखकर आपस मै बात करने लगी की बगुला अब मछलियों का शिकार नही करता और न ही कुछ बोलता है बस यूँ ही एक पैर पर खड़ा रहता है आखिर क्या बात है ?
उसमे से कुछ मछली ने उससे बात करने की हिम्मत जुटाई और जाकर बगुले से पूछा “काका आपको क्या हुआ है आप यूँ एक पैर पर क्यों खड़े रहते हो ” ?
मछलियों की बात सुनकर बगुला बोला प्यारी मछलियों मै एक पैर पर खड़े होकर तपस्या कर रहा हूँ जिससे यह तालाब न सूखे नही तो तुम सब मर जाओगी,क्योकि कुछ दिनों बाद गर्मियां आने वाली है और गर्मी के कारण यह तालाब पूरी तरह से सुख जायेगा | Bagula aur Kekda ki kahani
मछलियों यह सुनकर घबरा गई और उससे बचने का उपाए पूछने लगी |
तो बगुले ने कहा मेरी तपस्या न जाने कब पूरी हो और भगवान मेरी कब सुने इसलिए मै तुम्हे एक दूसरा विकल्प बताता हूँ | यहाँ से कुछ दूर एक दूसरा और बड़ा तालाब है जहाँ पर बहुत पानी है और तुम सब वहां पर आसानी से रह सकती हो |
मछलियों को उसकी बात पर संदेह हुआ तो मछलियों ने बगुले से कहा काका हमे आपकी बात पर विश्वास कैसे होगा इसके लिए आप हमे कुछ बताये ?
बगुला बोला तुम में से कोई एक मेरे साथ चलो मै तुम्हे वह तालाब दिखाकर लाता हूँ | बगुले के साथ जाने की हिम्मत किसी में न थी लेकिन गर्मियों में पानी कम होने के डर से हिम्मत करके एक मेंढक सामने आया और बगुला उसे लेकर उड़ चला कुछ दूर जाने के बाद उसने उस मेंढक को एक दुसरा तालाब दिखाया और वापस उस मेंढक को लेकर तालाब किनारे पहुच गया |
उस मेंढक ने आकर सारी बात बताई और बताया की जंगल में कुछ दूर ही एक और तालाब है जहाँ बहुत पानी है और हम वहां आराम से रह सकते है अब इस बात को सुनकर सभी मछलियों में पहले जाने की होड़ लगने लगी |
तो बगुले ने सभी मछलियों को तस्सली दी की वह सबको दुसरे तालाब में ले जायेगा |
अब बगुले ने अपनी चोंच में 4-5 मछलियों को दबाया और उड़ चला,कुछ दूर जाकर बगुले ने उन्हें दुसरे तालाब के किनारे एक बड़े से पत्थर पर जाकर मछलियों को पटक दिया और एक एक कर खा गया |
वह तालाब के किनारे आकर अक्सर ही दूसरी मछलियों को झूठी कहानी बताता था की बाकि मछलियाँ उस तालाब में जाकर बहुत खुश है और वह अब यहाँ वापस नही आना चाहती | Bagula aur Kekda ki kahani
अब वह हर रोज मछलियों को इसी प्रकार से अपनी चोंच में दबाता और उन्हें तालाब के किनारे उसी पत्थर पर पटक कर मार देता और खा जाता था | कुछ ही दिनों में बगुला काफी मोटा और हष्ट पुष्ट हो गया अब वह पहले जैसे बुढा और कमजोर नही दिखता था |
धीरे धीरे तालाब में मछलियाँ की संख्या काफी कम हो गई अब तालाब में बहुत कम मछलियाँ रह गई थी |
बगुले को इस प्रकार मोटा और हष्ट पुष्ट देखकर केकड़े को शक हुआ तो वह बगुले से बोला की “बगुले काका आज मै आपके साथ चलूँगा”
बगुला केकड़े की बात सुनकर मन में सोचने लगा “चलो आज मुंह का स्वाद बदल जायेगा मै भी रोज रोज मछलियाँ खाकर तृप्त हो गया हूँ” और इस प्रकार सोचने के बाद केकड़े से बोला हाँ क्यों नही आज तुम ही चलो |
केकड़े ने बगुले के साथ चलने के लिए एक शर्त रखी कि वह बगुले की पीठ पर बैठ कर चलेगा | बगुला केकड़े की बात को मान गया और मन में सोचने लगा तू किसी भी प्रकार से चल अंत में मै तुझे भी मर कर खा ही जाऊंगा |
और इस प्रकार केकड़ा बगुले की पीठ पर बैठ जाता है और बगुला उसे लेकर उड़ जाता है | बगुला उसे भी दुसरे तालाब के उसी पत्थर के पास केकड़े को ले जाता है तभी ऊपर से ही केकड़ा नीचे मछलियों की हड्डियों को देख लेता है और सारी बात समझ जाता है | Bagula aur Kekda ki kahani
इसी बीच केकड़ा बगुले से कहता है इतनी सारी मछलियों की हड्डियाँ यहाँ कैसे पड़ी हुई है ?
तो बगुला कहता है थोड़ी देर में मै तुम्हे भी उन सभी मछलियों के पास भेज दूंगा तुम खुद जाकर उनसे ही पूछ लेना |
बगुले की बात सुनकर केकड़ा सब कुछ समझ जाता है कि यह सभी उन्ही मछलियों की हड्डियाँ है जिन्हें यह बगुला तालाब से लेकर आया था | तभी केकड़े को एक युक्ति समझ आती है वह तेजी से अपने आगे के दोनों काँटों को बगुले की गर्दन काट देता है इससे बगुले की गर्दन उसके शरीर से अलग हो जाती है और वह बगुला मर जाता है |
और वह केकड़ा बगुले के मरने के बाद पास के ही उस तालाब में चला जाता है और बाकि जीवन वही व्यतीत करता है |
शिक्षा :-हमे कभी भी किसी अंजान पर भरोसा नही करना चाहिए |
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