Bado ki Baat Mano – काश मैंने अपने बड़ो की बात मान ली होती !

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Bado ki Baat Mano
Bado ki Baat Mano

हमारे बड़े अक्सर ही हमारे लिए अच्छा सोचते है लेकिन कभी कभी हमे ऐसा लगता है जैसे की वह हमारे लिए और हमारे साथ ज्यादा सख्ती कर रहे है या फिर हमारे लिए बंधन पैदा कर रहे है जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है हमारे बड़े हमेशा से ही हमारा भला चाहते है इसलिए वो हमारे लिए कठिन निर्णय लेते है| कुछ ऐसा ही आज की हमारी कहानी मे भी है जिसका शीर्षक है Bado ki Baat Mano – काश मैंने अपने बड़ो की बात मान ली होती !

जिसमे छोटे बच्चो को मना करने के बावजुद बच्चे अपने माँ-बाप की बात नही मानते और बुरे में फंस जाते है|लेकिन आज की कहानी से हमे सिख मिलेगी जिससे हम अपने बड़ो की बात माने और उसी के साथ हम दुसरो को भी अपने माँ-बाप की बात मानने की सिख दे तो चलिए बढ़ते है कहानी की तरफ :-

Bado ki Baat Mano – काश मैंने अपने बड़ो की बात मान ली होती !

एक बड़ा भारी जंगल था,उसमे चारो तरफ बड़े बड़े पहाड़ थे उन्ही पहाड़ो से होते हुए निर्मल जल के झरने बहते थे| जंगल में तरह तरह के पशु-पक्षी रहते थे| जंगल में झरने के किनारे एक गुफा थी जिसमे शेर शेरनी और उसके दो बच्चे रहते थे| शेर और शेरनी अपने बच्चों को बहुत प्यार करते थे| Bado ki Baat Mano

जब भी शेर अपने परिवार के साथ जंगल में घुमने निकलते थे तो जंगल के बाकि जानवर उन्हें देख कर डर के मारे इधर उधर भाग जाते थे|लेकिन शेरनी कम ही अपने छोटे बच्चों को जंगल में ले जाती थी वह जानती थी जंगल अभी उनके लिए खतरनाक है|शेर शेरनी अपने बच्चों को गुफा में ही छोडकर खाने की तलाश में जाया करते थे|

शेर और शेरनी अक्सर ही खाने की तलाश में जाने से पहले अपने बच्चों को बार बार यह समझाते थे कि वह कभी भी अकेले भूलकर भी गुफा से बाहर न निकले,लेकिन बड़े बच्चे को यह बात अच्छी नहीं लगती थी|

एक दिन जब शेर और शेरनी बाहर गये हुए थे तो बड़े बच्चे ने छोटे से कहा – ‘चलो झरने से पानी पीकर आते है और थोडा घुमने चलते है’| हिरनों को डराने में मुझे बहुत मजा आता है| छोटे बच्चे ने कहा-‘पिताजी और माँ ने कहा था अकेले गुफा से मत निकलना और झरने के पास जाने से तो बिल कुल ही मना किया था| तुम ठहरो ! पिताजी और माँ को आने दो हम उनके साथ ही बाहर चलेंगे और घूमेंगे| Bado ki Baat Mano

बड़े बच्चे ने कहा – ‘मुझे प्यास लगी है और वैसे भी सारे पशु तो हमसे डरते है फिर हमें डरने की क्या बात है ?’

छोटे बच्चे ने अकेले जाने को मना कर दिया और बोला मैं अकेले जाने को तैयार नही हूँ मैं माँ और पिताजी के साथ ही बहर जाऊंगा|  मुझे अकेले डर लगता है| बड़े बच्चे ने कहा -‘तुम डरपोक हो,मत जाओ मैं जाता हूँ अकेले’| इतना कहकर बड़ा बच्चा गुफा से बाहर निकल आया और झरने के पास जाकर झरने से पानी पिया और उसके बाद हिरनों के झुण्ड को ढूंढने को निकल पड़ा|

उस जंगल में उसी दिन कुछ शिकारी आये हुए थे,उन्होंने दूर से शेर के बच्चे को अकेले जंगल में घूमते देखा तो सोचने लगे की इस शेर के बच्चे को पकडकर हम चिड़ियाघर में बेच देंगे और इसके बदले में बहुत सारे रूपए मिलेंगे,ऐसा सोचकर उन्होंने उसे पकड़ने के लिए उसे चारो तरफ से घेर लिया और उसे कम्बल और कपड़ो की मदद से पकड़ लिया| Bado ki Baat Mano 

बेचारा शेर का बच्चा क्या करता अभी तो वह कुत्ते जितना बड़ा भी नही हुआ था वह कुछ न कर सका|शिकारियों ने उसे कम्बल में लपेट कर रस्सियों से अच्छे से बांध दिया वह तो अब हिल भी नही सकता था| शिकारियों ने उसे ले जाकर चिड़ियाघर में बेच दिया | वहां उसे एक बड़े लोहे के पिंजरे में बंद कर दिया गया|

वह बहुत दुखी था,उसे अपने परिवार की बहुत याद आ रही थी| बार बार वह गुर्राता और लोहे के पिंजरे को अपने दांतों से काटता था लेकिन उन लोहे की सलाखों को इससे कोई फर्क नही पड़ता था|

जब भी शेर का बच्चा चिड़ियाघर में किसी छोटे बच्चे को देखता था तो वह पिंजरे के अंदर से ही उसपर बहुत तेज से गुर्राता था और उछलता था मानो वह अपनी भाषा में कहना चाहता हो – ‘तुम अपने बड़ो का कहना और अपने बड़ो की हर बात को अवश्य मानना| बड़ो की बात न मानने के लिए मानो उसे आज पश्चाताप हो रहा हो,और कहना चाहता हो मैंने बड़ो की बात नही मानी तो देखो आज मैं यहाँ कैद हूँ| Bado ki Baat Mano

शिक्षा :- हमे हमेशा अपने बड़ो की बात माननी चाहिए |

सच ही कहा है :- 

जे सठ निज अभिमान बस सुनहि न गुरूजन बैन,
ते जग महँ नित लहहिं दुःख कबहूँ न पावहि चैन … 

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