भारत में प्राचीन काल से ही गुरु-शिष्य का एक अनोखा संबंध देखने को मिलता चला आ रहा है जहाँ बालक अपना घर छोड़कर अपने गुरु संग वन और आश्रम में रहकर शिक्षा ग्रहण करते थे आज हमारी ” Guru Shishya ki Kahani – जब गुरु ने शिष्य को दिया अनोखा कार्य” भी कुछ ऐसी ही है।
आज की कहानी में गुरु अपने शिष्यों को कुछ कार्य देते है और शिष्य वह कार्य भली प्रकार से पूर्ण भी करते है लेकिन फिर ऐसा क्या होता है कि गुरु और सभी शिष्य कुछ ऐसा देखकर आश्चर्यचकित हो जाते है चलिए कहानी में आगे बढ़ते है और विस्तार से जानते है:- Guru Shishya ki Kahani
Guru Shishya ki Kahani – जब गुरु ने शिष्य को दिया अनोखा कार्य
महर्षि कणाद अपने शिष्यों के साथ जंगल में आश्रम बना कर रहा करते थे। नित्य प्रातः उनके सभी शिष्य नदी में स्नान करने के बाद संध्या वन्दन, पूजा आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर गुरु जी से श्रद्धा पूर्वक शिक्षा ग्रहण करते थे।
आश्रम के सभी छोटे मोटे कार्य शिष्य स्वयं ही किया करते थे। आश्रम का जीवन कष्ट साध्य और पवित्रता से परिपूर्ण था। वर्षा ऋतु का आगमन समीप जान एक दिन महर्षि ने शिष्यों से कहा ” वर्षा ऋतु आने वाली है, क्यों न हम हवन तथा भोजनादि के लिए समिधा और सूखा ईंधन अभी से एकत्र कर लें। Guru Shishya ki Kahani
शिष्यों ने कहा, “ जो आज्ञा गुरु देव ” और वे सब इस शुभ कार्य में बिना देरी किए कुल्हाड़ी आदि लेकर जंगल की तरफ चल पड़े।
उन्होंने बड़ी लगन, परिश्रम और हिम्मत से लकड़ी काट – काट कर गट्ठर बाँधे और वे उन्हें कन्धों पर लाद कर आश्रम में ले आए। गुरु जी बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने शिष्यों को आशीर्वाद दिया कुछ समय बाद सदैव की भांति सभी शिष्य ऋषि कणाद के सा नदी में स्नान करने गए।
रास्ते में उन्हें वही जंगल पड़ा, जहाँ से शिष्यों ने परिश्रमपूर्वक पसीना बहाते हुए सूखी लकड़ियाँ बटोर कर, काट कर इकट्ठा की थीं। वहाँ उस स्थान पर अब कुछ रौनक ही अलग थी। वह वन जो सदैव सूखा, वीरान पड़ा रहता था अब वहाँ रंगबिरेगे सुगन्धित सुन्दर पुष्प जगमगा रहे थे। Guru Shishya ki Kahani
सारा जंगल उन पुष्पों की अजीब सी सुगन्ध से सुवासित हो रहा था। वहाँ का दृश्य बड़ा मनोरम और आकर्षक था। गुरु जी और शिष्य यह दृश्य देखकर आश्चर्य करने लगे। वे सभी उस जंगल में यह विचित्र परिवर्तन देख अचरज में पड़ गए।
सावधानी से निरीक्षण कर शिष्य गुरुवर कणाद से कहने लगे, ” ऋषिवर ,क्या यह वही स्थल है जहाँ से हमने सूखी लकड़ियाँ काट – काट कर एकत्र कर बड़ी मेहनत से कस – कस कर गट्ठर बाँधे थे।
अपने शिष्यों की आश्चर्यचकित बातो को सुनकर ऋषि कणाद बोले तुम्हारे शरीर से श्रम की बूँदें पसीना बन कर भूमि पर गिरी थीं। आज हमें उसी स्थान पर यह रंग – बिरंगे सुगन्धित पुष्प खिले दिखाई दे रहे हैं ।
Guru Shishya ki Kahani वायुमंडल में यह सुगन्ध भी उन्हीं श्रम की बूँदें पसीना बन कर बही थी और भूमि को सींच कर उसे पौधों के लिए तैयार कर दिया आज उन्ही पौधों से पुष्पों से मीठी सुगंध निकलती दिखाई दे रही है।
ऋषि कणाद और कहते है, ” बालको ! यह सब तुम्हारे अथक परिश्रम का ही फल है। तुम्हारे शरीर से निकले शुद्ध, सच्चे और पवित्र पसीने की बूँदों के परिणाम से ही यहाँ रंग – बिरंगें सुगन्धित पुष्प खिले हैं।
सच है परिश्रम से बहे पसीने की सुगन्ध किसी भी साधारण फूल की सुगन्ध से कहीं अधिक मीठी और प्यारी होती है। हमें सदा ही सतत् परिश्रम करते रहना चाहिए। ” बिना कष्ट उठाए , विना अथक परिश्रम किए इस संसार में कभी कोई महान् नहीं बना।
महान् बनने के लिए कठोर परिश्रम करना नितान्त आवश्यक है। ” यह सत्य हमें नित्य ध्यान में रखना चाहिए और सदैव ही परिश्रम करते रहना चाहिए।” Guru Shishya ki Kahani
भारत भूमि प्राचीन काल से सदा ही अनेको बुद्धिमानो से सुसज्जित रही ही भारत भूमि से एक से बढ़कर एक बुद्धिमान पैदा हुए है ऐसे ही एक बुद्धिमान बालक Ashtawakra ki Kahani in Hindi – बालक अष्टावक्र की रोचक कहानी आज मै आपके लिए लेकर आया हूँ।
कहानी है मिथिला नरेश राजा जनक और बालक अष्टावक्र की, कहानी के अनुसार राजा जनक अक्सर अपने राज दरबार में शास्त्रार्थ कराया करते थे तो बालक अष्टावक्र भी एक दिन शास्त्रार्थ करने जाते है और एक से बढ़कर एक विद्वान पंडितो को शास्त्रार्थ में पराजित कर देते है उसके बाद कहानी में क्या होता है आइये विस्तार से कहानी के बारे में जानते है:-
Ashtawakra ki Kahani in Hindi – बालक अष्टावक्र की रोचक कहानी
वैदिक युग में देवल नाम के एक अत्यंत ज्ञानी ऋषि हुए हैं। जन्म से ही इनके शरीर के आठ अंग ठेढ़े थे, इसी कारण इनका नाम अष्टावक्र पड़ा। इनके नाना वेदों के प्रकाण्ड पंडित थे। इनके पिता कहोड़ भी उत्कट विद्वान थे।
उस काल में मिथिला ज्ञान का केन्द्र थी। मिथिला के राजा जनक दरबार में शास्त्रार्थ कराया करते थे। ‘वन्दी ‘ छद्य नाम से एक विद्वान हारने वाले को नदी में डुबो देता था। वह बड़ा क्रूर था। कहोड़ अर्थ की लालसा में घर से निकले फिर लौट कर ही नहीं आए। Ashtawakra ki Kahani in Hindi
बड़ा होने पर अष्टावक्र पिता को खोजने चला। मिथिला में अश्वारोही सैनिकों ने अष्टावक्र को राजपथ पर रोका। राजा जनक की सवारी उधर से जा रही थी। अष्टावक्र ने कहा , “लगता है तुम्हारा राजा भी नीतिवान नहीं है ।”
तभी जनक का रथ वहाँ आया। अष्टावक्र बोला राजन, “वृद्ध, अपाहिज, ज्ञानी, रोगी, शव और बालक के लिए मार्ग छोड़ देना चाहिए।
“तुम इनमें से कौन हो ? ” राजा जनक ने पूछा।
अष्टावक्र बोला । “मैं अशक्त, बालक और ज्ञानी हूँ ।”
Ashtawakra ki Kahani in Hindi “तुम्हारे लिए मैं राजमार्ग छोड़ रहा हूँ, ”कहकर राजा जनक चले गए। लेकिन बालक अष्टावक्र के उत्तर से राजा जनक बहुत प्रसन्न हुए।
अष्टावक्र धीरे-धीरे यज्ञशाला के द्वार पर पहुँचे। द्वारपाल ने उन्हें रोका और कहा, “राजा से केवल वृद्ध, ब्राह्मण और विद्वान ही मिल सकते हैं। अष्टावक्र कहने लगे, “मैं शास्त्रज्ञ हूँ और वन्दी से शास्त्रार्थ करने आया हूँ। ”बालक की निर्भयता देख द्वारपाल उन्हें अन्दर राजा जनक के पास ले गया।
अष्टावक्र की विद्वता, तर्कशक्ति और निडरता देख कर राजा जनक ने वन्दी से शास्त्रार्थ करने की अनुमति दे दी। हारने पर जल डुबो दिए जाने की बात भी चला दी। वन्दी बोले, “अष्टावक्र, तुम बालक हो प्रश्न करो ।”
अष्टावक्र, “हम अंकों का शास्त्रार्थ करेंगे – एक ब्रहा” वन्दी ने उत्तर दिया, “ब्रह्म और आत्मा, दो। ”अष्टावक्र बोले, “पृथ्वी, आकाश और पाताल; स्वप्न, जागृति और सुप्राप्ति, रजस् और तमस्, जीव, जगत और ब्रह्म – तीन। Ashtawakra ki Kahani in Hindi
“वन्दी ने कहा- दिशाएं चार वन्दी जन के उत्तर में अष्टावक्र बोले- पृथ्वी , जल , वायु और आकाश – महाभूत पाँच। अष्टावक्र के उत्तर में वन्दी ने कहा , “अहंकार, मोह, क्रोध, लोभ, काम और मत्सर शत्रु छः।
इस प्रकार तेरह पर वन्दी अटक गए। उनके माथे पर खेद की बूँद झलकने लगीं। राजा जनक ने वन्दी को पराजित और अष्टावक्र को सभा के मध्य विजयी घोषित किया राजा जनक कहने लगे, “अष्टावक्र वन्दी पराजित हो गए हैं।
अब इनका जीवन तुम्हारे हाथ में है। “अष्टावक्र ने तिरस्कार की नदी में वन्दी को डुबो दिया। Ashtawakra ki Kahani in Hindi वन्दी, वरुण लोक का राजकुमार था। वह ‘वन्दी’ नाम से राजा जनक के दरबार में भारतीय प्रतिभाओं को छल, बल तथा वाक् कौशल से परास्त कर वरुण लोक समुद्र के मार्ग से जलयानों में भेज दिया करता था।
प्रतिभा का पलायन इस प्रकार उस काल में होता था। अष्टावक्र ने आज अपनी विलक्षण प्रतिभा और बुद्धि कौशल से न केवल अपने कहोड़ को पुनः प्राप्त किया वरन् पण्डितों को भी जीवन दान दिया।
वे सभी अपने देश लौटे आए। प्रभावित होकर राजा जनक ने अष्टावक्र से वहीं मिथिला में रहने व राजपंडित का पद सुशोभित करने का आग्रह किया पर वे न माने और चरैवेति – चरैवेति कहते हुए वहाँ से चले गए। Ashtawakra ki Kahani in Hindi
कहते है कार्य को करने की इच्छा शक्ति अगर मन में जाग्रत रहती है तो असंभव सा दिखने वाला कार्य भी संभव और सरल बन जाता है कुछ ऐसा ही आज की इस कहानी में भी है जिसका शीर्षक है Shree Ram or Gilahari ki kahani – हनुमान और गिलहरी की कहानी।
आप सभी में से बहुत से लोग कहानी का शीर्षक पढ़ते ही कहानी के बारे में समझ गये होंगे कि आज की हमारी कहानी में क्या है? लेकिन फिर भी बहुत से लोग जो इस बारे में कुछ नही जानते है उनके लिए आज की यह कहानी लेकर आया हूँ।
कहानी में एक छोटी सी गिलहरी जो कि राम सेतु के कार्य में अपनी भी भागीदारी सुनिश्चित कराती है और राम सेतु तैयार करने में साथ देती है और इस कार्य के बदले में उसे पुरुस्कार स्वरूप कुछ ऐसा मिलता है जो कि त्रेता युग से अब तक उसके पास है Shree Ram or Gilahari ki kahani – हनुमान और गिलहरी की कहानी चलिए कहानी को विस्तार से जानते है।
Shree Ram or Gilahari ki kahani – हनुमान और गिलहरी की कहानी
कहते है जब सीता जी को जब रावण चुराकर लंका ले गया तो उसके कुकर्मों की सजा देने श्री राम ने लंका पर आक्रमण करने का निश्चय किया। उन्हें लंका तक जाने के लिए पुल की आवश्यकता अनुभव हुई। उन्होंने भगवान शिव की आराधना की और समुद्र देव के अनुसार समुद्र पर सेतु निर्माण कार्य की शुरुआत की।
सेतु निर्माण कार्य का दायित्व नल व नील नाम के दो वानरों को मिला था। वे दोनों पुल बनाने की कला में बहुत दक्ष थे। शेष वानरों ने उनका भरपूर सहयोग किया। सेतु निर्माण कार्य तेजी से चल रहा था। सुग्रीव, अंगद, हनुमान, रिक्षराज जामवन्त आदि सभी बड़े उत्साह से सेतु बनाने में संलग्न थे। Shree Ram or Gilahari ki kahani
लाखों वानर रीछ इधर – उधर दौड़ – भाग रहे थे । कोई चट्टानें उठा रहा था, कोई विशालकाय वृक्षों को ही जड़ समेत उठा कर समुद्र में डाल रहा था । चारों और उथल – पुथल मची थी। नल , नील उन सभी से सेतु तैयार कर रहे थे।
अचानक हनुमान की दृष्टि एक छोटी गिलहरी की ओर गई। वह अपने शरीर को जल में भिगो कर बालू के कण ही समुद्र में डाल रही थी और यह बार बार कर रही थी।
हनुमान ने पूछा , “ अरी , तू यह क्या कर रही है तू थक कर चूर हो जाएगी। हो सकता है कि कहीं किसी वानर के पैरो ने नीचे दब कर प्राण ही न खो दे।
” गिलहरी बोली, ” मैं भी राम जी के पुल बनाने के काम में प्राणपण से जुटी हूँ। मैं चाहती हूँ पुल शीघ्र बने ताकि दुष्ट रावण का जल्दी ही सर्वनाश किया जा सके। ” उसकी भक्ति और भावना देख हनुमान दंग रह गए।
Shree Ram or Gilahari ki kahani समीप की शिला पर बैठे श्री राम यह सब देख, सुन रहे थे। उन्होंने संकेत से हनुमान से उस छोटी सी गिलहरी को पास लाने को कहा। हनुमान जी उसे अपने हाथ पर बैठा कर राम जी के समीप लाये।
राम जी ने गिलहरी की मेहनत को देखते हुए उसकी हिम्मत और कार्यशीलता को सराहा और गिलहरी की पीठ पर अपने हाथ की तीन उंगलियाँ फेरीं। तभी से उसकी पीठ पर तीन निशान बनते चले आ रहे हैं।
यह सच है कि वानरों और रीछों की तुलना में गिलहरी का पौरुष नगण्य था, पर जहाँ तक भावना का प्रश्न है गिलहरी की भावना बड़ी थी। श्री राम ने भावना पर ही मुग्ध होकर उसे यह पुरस्कार प्रदान किया था जो आज तक उसे प्राप्त होता चला आ रहा है। हमें भी राष्ट्र कार्य में इसी भावना से कार्य करना चाहिए। Shree Ram or Gilahari ki kahani
जय माता दी दोस्तों माता रानी आप सभी के घर परिवार में अपनी कृपादृष्टी सदा बनाये रखे। माता रानी के नवराते वर्ष में दो बार आते है और आज 80+Navratri Quotes in Hindi with Image आपके लिए मै लेकर आया हूँ आशा है आप सभी को यह जरुर पसंद आयेंगे।
माता रानी की नवरात्री के यह नौ दिन भक्तो के लिए मानो तीर्थ से बढकर होते है इन दिनों सभी भक्तजन बड़े ही प्रेम और श्रद्धा भाव से माता जी का पूजन माता की चौकी सजाते है और पूजा अर्चना करते है। माता रानी के लिए कोट्स और स्टेटस भक्तो को अपनी ख़ुशी जाहिर करने का एक अच्छा माध्यम है तो चलिए 80+Navratri Quotes in Hindi with Image देखते है और माता रानी के चरणों को प्रणाम करते हुए बढ़ते है आगे बोलो शेरावाली माता की जय।
“80+Navratri Quotes in Hindi with Image”
80+Navratri Quotes in Hindi with Image
माँ की ज्योति से नूर मिलता है,
सबके जीवन को सुरूर मिलता है,
जो भी जाता है माँ के द्वार,
उसे कुछ न कुछ जरुर मिलता है…
सच्चा है माँ का दरबार,
माँ से विनती करो बार-बार,
घबराओ न सुनेगी माँ जरुर,
अपने बच्चो से माँ करती है बहुत प्यार…
माँ की शान बड़ी ही निराली है,
दरबार से माँ के कोई जाता न खाली है,
जब आन पड़े मुसीबत बच्चो पर,
दौड़ी चली आती माँ शेरोवाली है…
Happy Navratri Quotes in Hindi
तुझपर विश्वास है मेरा,
इसे कभी टूटने न देना,
जीवन की मझधार में है नैया,
माँ इसे कभी डूबने न देना…
Happy Navratri Quotes in Hindi
भक्तो की आस है माँ आज तू आजा,
ढोल, ताशे बजेंगे खूब, बजेगा बैंड बाजा,
नाचेंगे, गायेंगे, मिलकर सब घूम मचाएँगे,
ओह जंगल के राजा मेरी मैया को लेकर आजा…
बिन बुलाये जहाँ जाने को जी चाहता है,
एक तेरा दरबार ही ऐसा है माँ,
जहाँ दिल को सुकून आता है…
विश्वास मेरा तुझपर है,
इसे माँ टूटने न देना,
जीवन में अपने हाथ से,
मेरा हाथ कभी छूटने न देना…
Hindi Navratri Quotes 2022
मतलब की दुनिया है,
कौन अपना कौन पराया,
सबने ठोकर मारकर छोड़ा,
बस एक तूने मुझे अपनाया…
80+Navratri Quotes in Hindi with Image
माँ जीवन में कठिनाई बहुत है,
मुसीबत ने आज मुझे घेरा,
कोई आस नही न उम्मीद तेरे सिवा,
हर परेशानी में दिखे मुझे चेहरा तेरा…
माँ यूँ ही नहीं झुकाती यह दुनिया तेरे आगे सर,
लाखो तकदीरे बनती है मैया सिर्फ तेरे दर पर…
80+Navratri Quotes in Hindi with Image
नवरात्रि में सब उपवास रखते है,
माँ के चरणों में अरदास रखते है,
माँ करेंगी हर मनोकामना पूरी,
सभी भक्त मन में बस विश्वास रखते है…
Hindi Navratri Quotes 2022
जिन्दगी की हर तमन्ना हो सफल,
कोई इच्छा न रहे अधूरी,
हाथ जोड़ दिल से माँ को याद करो,
माँ इस नवरात्री में करेगी हर मनोकामना पूरी…
पग-पग में खुशियों के फूल खिले,
दुनिया की हर ख़ुशी आपको मिले,
दुखो से आपका न कभी हो सामना,
इस नवरात्रि आपके लिए हमारी यही शुभकामना…
इस नवरात्रि घर में, माँ दुर्गा तेरा वास हो,
दुःख दर्द सब दूर रहे, दरिद्रता का नाश हो,
नवरातो में माँ आएगी खुशियाँ लेकर,
अगर यह हर भक्त के मन में विश्वास हो…
Navratri Quotes for instagram
खुशियों का उपहार हो, सफलता बेशुमार हो,
हर इच्छा हो आपकी पूरी इस बार,
कुछ ऐसा अबकी नवरात्रि का त्यौहार हो…
80+Navratri Quotes in Hindi with Image 2022
चाँद की चांदनी, वसंत की बहार,
माँ का आशीर्वाद और ढेर सारा प्यार,
सदा मिले आपको खुशियाँ हजार,
मुबारक हो आपको नवरात्रि का त्यौहार…
सारा जहाँ झुकता है जिनकी शरण में,
शत-शत नमन है माँ जगदम्बे में चरण में,
ग्रहण करे माँ के चरणों की धूल,
आओ समर्पित करे माँ को श्रद्धा के फूल…
माँ वरदान दो न दो,
थोडा सा प्यार दे देना,
जीवन बीते तेरी शरण में माँ,
ऐसा आशीर्वाद दे देना…
माँ जग में मेरी शान रखना,
दुनिया में मेरा मान रखना,
न भटकू जीवन मझधार में कभी,
मेरी मैया मेरा तुम ध्यान रखना…
Navratri Quotes for instagram
माँ के नवरूपो में छिपा है सृष्टि का सार,
जग में नवदुर्गा की महिमा है अपार,
तीन लोक नौ खंड में माँ सा दूजा न कोई,
माँ दुर्गा अपने बच्चो से करती है बहुत प्यार…
झूठा है सारा संसार माता,
कोई न अपना है न किसी से नाता,
मैं तोड़ आया हर एक नाता,
मै बस तेरा और बस तू मेरी माता…
माँ दुर्गा तू है, तू ही माँ काली है,
तू ही जगदम्बे और तू ही शेरावाली है…
माता जिनको याद करे,
वो लोग निराले होते है,
माता जिन्हें दरबार बुलाए,
वो किस्मत वाले होते है…
Happy Navratri status 2022
Happy Navratri status 2022
मुझे तेरा ही सहारा महारानी,
कृपा बरसाए रखना,
न डोले मन मेरा जगत में,
चरणों से अपने लगाए रखना…
नमन है उस माँ के चरणों में,
जिसे सब प्रणाम करते है,
भरती है हर झोली खाली,
दिल से माँ को जो याद करते है…
चलो सब माँ के दरबार जायेंगे,
मिलकर सब माँ को फरियाद सुनाएँगे,
प्रेम से माँ के चरणों में शीश को झुकाएँगे,
इस नवरात्रि माँ से आशीर्वाद पाएँगे…
जिन्दगी का क्या भरोसा है,
कब तक की यह दुनिया दारी है,
दूसरो का तो पता नही माँ,
लेकिन मै बालक तेरा एक तू मैया हमारी है…
माँ तेरी महिमा अपरम्पार है,
तेरे चरणों में नमन बारम्बार है,
माँ करे हर इच्छा की पूर्ति,
तेरे ही आशीर्वाद से चले मेरा कारोबार है…
Navratri Quotes with Image
हर संकट टल जाता है,
मिट जाते है सारे क्लेश,
नवरात्रि में माँ करे जिस घर में प्रवेश…
80+Navratri Quotes in Hindi with Image
दुनिया से दूर जा रहा हूँ,
माँ मैं तेरे पास आ रहा हूँ,
शब्द यही दोहरा रहा हूँ,
माँ मैं तेरे पास आ रहा हूँ…
तेरी दी हुई जिन्दगी है, तू जैसे मर्जी रख,
नैया मेरी पार कर न करे, तुझे है पूरा हक़…
मैया छोटे छोटे कदमो से आपके घर में आये,
सुख-संपदा और कीर्ति आपके घर को भाए,
रहे दरिद्रता दूर घर से, हर परेशानी नजर चुराए,
शुभ नवरात्रि की आपको ढेरो शुभकामनाएं…
Happy Navratri Shayari in Hindi
बेसहारो का सहारा माँ तेरा दरबार,
तेरी ही कृपा से चलता मेरा परिवार,
लोग करते है काम तो कोई करे कोई कारोबार,
माँ मुझे मिले दो वक्त की रोटी और तेरा प्यार…
माँ एक सवाल है मन में,
क्या तुझे मेरी याद नही आती,
शायद यही सच है,
इसलिए ही तू मुझे दरबार नही बुलाती…
माँ के दरबार की निराली है शान,
झुके है अकबर और कई राजा महान,
माँ सा दुनिया में देव कोई न दूजा,
मिला उसे सब जिसने दिल से माँ को पूजा…
Navratri Status in Hindi
तेरी ऊँगली पकड के चला,
ममता के आँचल में पला,
माँ शेरावाली माँ,मै तेरा लाडला…
80+Navratri Quotes in Hindi with Image | Navratri Status in Hindi
भवसागर से पार हो, बाल न बांका होए,
जिसकी रक्षा माँ दुर्गा करे, उसे मार सके न कोय…
न घमंड है ताकत का न किसी शक्ति का,
माँ है साथ मेरे, आशीर्वाद है माँ की भक्ति का…
कुछ और करने की जरूरत नही है,
दरबार में माँ के आना ही बहुत है,
प्रेम से माँ को याद करो,
हर संकट के लिए माँ का नाम ही बहुत है,
शेरावाली के दरबार का नाम ही काफी है,
मैया की शरण में आजा,
मिले यहाँ हर गलती की माफ़ी है…
Happy Navratri Status with Image
तेरी भक्ति की हमे यह बीमारी न होती,
गर चरणों से माँ के लगने की तैयारी न होती…
Happy Navratri Status with Image
तेरा सिर पर हाथ है माँ,
मुझे तुझपर विश्वास है माँ,
करेंगी हर मनोकामना सबकी पूरी,
सच्चे दिल से मांगी है मुराद मेरी माँ…
प्यारा सजा है माँ का दरबार,
भक्तो की लगी है लम्बी कतार,
मिले आपको खुशियाँ हजार,
मुबारक हो आपको नवरात्रि का त्यौहार…
मैया तेरे नाम से ही,
होती है मेरी सुबह और शाम,
जब तक न लूँ मै नाम तेरा,
सफल होता नही मेरा कोई भी काम…
Mata Rani Status in Hindi 2022
माँ क्यों रूठी है, आकर मुझे गले से लगा ले,
तेरे दीदार को तरसे है अखियाँ,
माँ मुझे वैष्णो धाम बुला ले…
कोई भी आरजू न रहेगी अधूरी,
माँ से करो विनती, करो अरदास,
माँ करेगी हर मनोकामना पूरी…
तेरे नाम से शुरू मेरे सारे काम होते है,
मैं देखूं जहाँ कही भी, माँ तेरे दीदार होते है…
फूलो की माला से फूल तोडा न करो,
धर्म से मुँह मोड़ा न करो,
बड़ा ही कीमती है माँ का नाम,
जय माता दी कहना छोड़ा न करो…
80+Navratri Quotes in Hindi with Image
माँ दूर की सुनती है,
माँ पास की सुनती है,
सच्चे दिल से याद करो,
माँ विश्वास से सुनती है…
80+Navratri Quotes in Hindi with Image
चारो ओर अँधेरा है माँ,
बनकर रोशनी राह दिखाना,
थक गया हूँ मैं जीवन से माँ,
अपने आँचल में मुझे सुलाना…
नवरात्रि की कथा 80+Navratri Quotes in Hindi with Image
नवरात्रि के पावन पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं माता रानी आप सभी के घर परिवार पर अपनी कृपादृष्टी सदा बनाये रखे। मैया आपका भंडार सदा भरा रखे। आपको धन, यश, कीर्ति और धन-धान्य से सदा संपन्न रखे। माता रानी के यह नवराते वर्ष में दो बार आते है चैत्र और शारदीय। 80+Navratri Quotes in Hindi with Image
नवरात्रि के इन पावन नौ दिनों के पीछे एक कथा बहुत प्रसिद्द है कहते है माँ दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिनों तक महासंग्राम हुआ था और अंत में नौवे दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इन नौ दिनों के बीच हुए महासंग्राम में सभी देवी-देवताओं ने माँ के युद्ध के दौरान माँ के बल और प्रसस्थ करने के लिए अन्न-जल का त्याग किया था।
कहते है तभी से यह नौ दिनों के व्रत की शुरुआत हुई और नवदुर्गा पूजा प्रारंभ हुई। माँ दुर्गा इन नौ दिनों में व्रत रखने वाले सभी भक्तो को मनवांछित फल प्रदान करती है।
आशा है आप सभी को आज की हमारी 80+Navratri Quotes in Hindi with Image जरुर पसंद आई होगी अगर पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ जरुर शेयर करे और ऐसे ही स्टेटस और शायरी व कोट्स के लिए हमारी वेबसाइट पर विजिट जरुर करे। धन्यवाद !
बड़े बुजुर्गो का कहना है कि मेहनत करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी असफल नही होता है। इसी बात को मद्देनजर रखते हुए आज की हमारी कहानी का शीर्षक भी यही है Mehnat ka Phal in Hindi – मेहनत करने से हुआ फायदा जाने कैसे?
आज की हमारी कहानी के अनुसार कहानी में दो व्यक्ति है, पहला व्यक्ति धनी होता है लेकिन बहुत आलसी होता है और अपने आलस के चलते हुए अपने पास पर्याप्त धन को वह खो देता है। वही दूसरी तरफ दूसरा व्यक्ति गरीब होता है लेकिन अपनी मेहनत के दम पर वह अमीर हो जाता है। यह उसकी Mehnat ka Phal in Hindi ही है जो वह अमीर हो जाता है आखिर क्या है पूरी कहानी चलिए विस्तार से जानते है:-
Mehnat ka Phal in Hindi – मेहनत करने से हुआ फायदा जाने कैसे
एक गाँव में एक धनी मनुष्य रहता था। उसका नाम भैरोमल था। भैरोमल के पास बहुत खेत थे। उसने बहुत से नौकर और मजदूर रखे हुए थे। भैरोमल बहुत सुस्त और आलसी था। वह कभी अपने खेतों को देखने नहीं जाता था। अपने मजदूर और नौकरों को भेजकर ही वह काम कराता था।
मजदूर और बाकी नौकर मनमाना काम करते थे। वे लोग खेत पर तो थोड़ी देर काम करते थे, बाकी घर बैठे रहते, इधर – उधर घूमते या गप्पें उड़ाया करते थे। खेत न तो ठीक से जोते जाते थे, न सींचे जाते थे और न उनमें ठीक खाद ही पड़ती थी। Mehnat ka Phal in Hindi
खेतों में बीज भी ठीक से नहीं पड़ते थे और उनकी घास तो कोई निकालता ही नहीं था। इसका फल यह हुआ कि उपज धीरे – धीरे घटने लगी। थोड़े दिनों में भैरोमल गरीब होने लगा।
उसी गाँव में रामप्रसाद नामक एक दूसरा किसान था। उसके पास खेत नहीं थे। वह भैरोमल के ही कुछ खेत लेकर खेती करता था, किंतु था बहुत परिश्रमी।
अपने मजदूरों के साथ वह खेत पर जाता था, डटकर परिश्रम करता था। उसके खेत भली प्रकार जोते और सींचे जाते थे। अच्छी खाद पड़ती थी। घास निकाली जाती थी और बीज भी समय पर बोये जाते थे ।
उसके घर के लोग भी खेत पर काम करते थे। Mehnat ka Phal in Hindi उसके खेत में उपज अच्छी होती थी। लगान देकर और खर्च करके भी वह बहुत – सा अन्न बचा लेता था। थोड़े दिनों में रामप्रसाद धनी हो गया।
जब भैरोमल बहुत गरीब हो गया, उसके ऊपर महाजनों का ऋण हो गया तो उसे अपने खेत बेचने की आवश्यकता जान पड़ी । यह समाचार पाकर रामप्रसाद उसके पास आया और बोला- ‘ मैंने सुना है कि आप अपने खेत बेचना चाहते हैं । कृपा करके आप मेरे हाथ अपने खेत बेचें । मैं दूसरों से कम मूल्य नहीं दूँगा ।
भैरोमल ने आश्चर्य से पूछा- ‘ भाई रामप्रसाद ! मेरे पास इतने खेत थे, फिर भी मैं ऋणी हो गया हूँ, किंतु तुम्हारे पास धन कहाँ से आ गया है ? तुम तो मेरे ही थोड़े – से खेत लेकर खेती करते हो। उन खेतों की लगान भी तुम्हें देनी पड़ती है और घर का भी काम चलाना पड़ता है। मेरे खेत खरीदने के लिये तुम्हें रुपये किसने दिये ?
रामप्रसाद ने कहा -‘मुझे रुपये किसी ने नहीं दिये। रुपये तो मैंने खेतों की उपज से ही बचाकर इकट्ठे किये हैं। आपकी खेती और मेरी खेती में एक अन्तर है। आप नौकरों – मजदूरों आदि सबसे काम करने के लिये ‘ जाओ – जाओ ‘ कहते हैं, इससे आपकी सम्पत्ति भी चली गयी। मैं मजदूरों और नौकरों से पहले काम करने को तैयार होकर उन्हें अपने साथ काम करने के लिये सदा ‘ आओ ‘ कहकर बुलाता हूँ । इससे मेरे यहाँ सम्पत्ति आती है। ‘ Mehnat ka Phal in Hindi
अब भैरोमल ठीक बात समझ गया। उसने थोड़े – से खेत रामप्रसाद के हाथ बेचकर अपना ऋण चुका दिया और बाकी खेतों में परिश्रम पूर्वक खेती करने लगा। थोड़े ही दिनों में उसकी दशा सुधर गयी। वह फिर सुखी और सम्पन्न हो गया।
शिक्षा : मेहनत करने वाला हर व्यक्ति जीवन में सफल होता है, उसे समय लगता है किन्तु एक दिन वह अवश्य ही सफल होता है। Mehnat ka Phal in Hindi