बादशाह अकबर के नौ रत्नों में से सबसे अधिक बुद्धिमान और चतुर बीरबल थे और बादशाह उन्हें सबसे अधिक स्नेह करते थे| अक्सर ही जब बादशाह को कोई सवाल या फिर कोई मजाक सूझता था तो वह बीरबल से सलाह मशवरा किया करते थे| आज की कहानी भी कुछ ईएसआई प्रकार की है जब बादशाह के मन में अचानक अपने लिए एक महल बनवाने की योजना सूझी और उन्होंने इसका कार्यभार बीरबल को दिया तो चलिए बढ़ते है कहानी की तरह कि किस तरह से बीरबल ने बादशाह के लिए Akbar ka Adhar Mahal बनवाया |
Akbar ka Adhar Mahal – जब बीरबल को मिला अधर महल बनवाने का आदेश
एक दिन दरबार के काम काजों से निश्चिन्त होकर बादशाह बीरबल के साथ गप्पे मार रहा था। बादशाह मनोरंजन के बहुत प्रेमी थे। उसी दिन उसको एक अधर महल बनवाने की इच्छा जागृत हुई ।
इस विचार को सोचते हुए बादशाह बोले -‘बीरबल ! क्या तुम मेरे लिये मेरी पसंद का एक अधर महल बनवा सकते हो ?” महल बनवाने का काम तुम्हारा है और रुपया पैसा खर्च करना मेरा काम है।”
बीरबल ने सोच विचार कर उत्तर दिया–“जहाँपनाह थोड़ा ठहर कर महल बनवाने का का कार्य आरम्भ करूँगा। इस कार्य के लिये कुछ मुख्य सामानों के संग्रह के लिए समय की आवश्यकता है। बादशाह अकबर बीरबल के इस आग्रह को स्वीकार कर लेते है फिर बीरबल बादशाह को दूसरी बात छेड़कर दूसरे कामों में उलझा देते है जिससे बादशाह अधर महल की बात भूल जाते है |
Akbar ka Adhar Mahal सायंकाल अवकाश पाकर बीरबल घर लौट गए। दूसरे दिन बहेलियों को रुपये देकर जंगल से तोते को पकड़ लाने की आज्ञा दी। हुक्म की देर थी बहेलिये उसी दिन सैकड़ो तोते पकड़ लाये। बीरबल ने कुछ तोतों को चुन कर खरीद लिया और उनके पढ़ाने का भार अपनी बुद्धिमती कन्या को सौंप स्वयं दरबार आकर दरबार के आवश्यक कार्य करने में जुटगए गए।
लड़की ने बुद्धिमानी से पिता के आदेशानुसार तोतों को पढ़ाकर पक्का कर दिया। जब बीरबल ने उनकी परीक्षा ली तो वे उसके मरजी के माफिक निकले। फिर क्या था बीरबल तोतों को लिये हुए दरबार में हाजिर हुए। तोतो को दीवान खाने में बन्द कर स्वयं बादशाह के पास गए।
तोते पिंजड़ों से बाहर निकाल कर छोड़ दिये गये थे। सब तरफ से किवाड़ बन्द था। तोते भीतर ही भीतर अपनी शिक्षा के अनुसार अलग अलग राग अलाप रहे थे। बादशाह को सलाम कर बीरबल बोला-“जहाँपनाह ! आपकी मरजी के मुताबिक अधर महल का काम शुरू करा दिया है, इस समय उस में बहुत से पेशराज और मिस्त्री काम कर रहे हैं|” Akbar ka Adhar Mahal
आप चलकर मुवाइना कर लें तो ज्यादा बेहतर होगा। बादशाह महल देखने की इच्छा से बीरबल के साथ हो लिए। जब बीरबल दीवान खाने के पास बादशाह को लेकर पहुंचे तो उसका किवाड़ खुलवा दिया। तोते बाहर निकल कर आकाश में उड़ते हुये बोलने लगे—ईटा लाओ, चूना लावो, किवाड लाओ, चौखट तैयार करो, दीवार चुनो।”
इस प्रकार चिल्लाते हुए तोतों ने खूब शोर मचाया। तब बादशाह ने बीरबल से पूछा—“क्यो बीरबल ! ये तोते क्या कह रहे हैं ?” बीरबल ने बड़े ही खुशमिजाज अंदाज के साथ उत्तर दिया-“हुजूर आपका अधर महल तैयार हो रहा है, उसमें राजमिस्त्री, शिल्पकार और बढ़ई सभी लोग लगे हुये हैं। सब सामान एकत्रित हो जाने पर महल बनना शुरू हो जायेगा।” बीरबल की इस बुद्धिमानी पर बादशाह हर्षित हुआ और उसको बहुत सा धन देकर बिदा किया।