मुगल वंश का तीसरा शासक था। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म (अर्थात अकबर महान), शहंशाह अकबर, महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है। सम्राट अकबर मुगल साम्राज्य के संस्थापक मुहम्मद बाबर का पौत्र और हुमायूं एवं हमीदा बानो का पुत्र था। बादशाहों में अकबर ही एक ऐसा बादशाह था, Akbar Birbal Story in Hindi जिसे हिन्दू मुस्लिम दोनों वर्गों का बराबर प्यार और सम्मान मिला। उसने हिन्दू-मुस्लिम संप्रदायों के बीच की दूरियां कम करने के लिए दीन-ए-इलाही नामक धर्म की स्थापना की। उसका दरबार सबके लिए हर समय खुला रहता था।
उसके दरबार में मुस्लिम सरदारों की अपेक्षा हिन्दू सरदार अधिक थे। अकबर ने हिन्दुओं पर लगने वाला जज़िया ही नहीं समाप्त किया, बल्कि ऐसे अनेक कार्य किए जिनके कारण हिन्दू और मुस्लिम दोनों उसके प्रशंसक बने। अकबर मात्र तेरह वर्ष की आयु में अपने पिता मुहम्मद हुमायुं की मृत्यु उपरांत दिल्ली की राजगद्दी पर बैठा था। आज मैं आपको अकबर और बीरबल से जुडी एक कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसमे बादशाह अकबर को मूर्खराज कहा गया|
Akbar Birbal Story in Hindi – जब अकबर बने सबसे बड़े मूर्खराज |
बादशाह अकबर बीरबल को बहुत मानते थे| बीरबल बड़े ही बुद्धिमान थे वह अपनी समझदारी और चतुराई से हमेशा ही बादशाह को प्रसन्न रखते थे| दूसरी तरफ बादशाह भी उनकी बातो और समझदारी की हमेशा तारीफ करते थे और अपने सभी निर्णय में बीरबल से सलाह मशवरा भी किया करते थे|
एक बार बादशाह अपने राजमहल में गये| बादशाह की सबसे प्यारी बेगम उस समय अपनी किसी सखी से बाते कर रही थी| बादशाह अचानक जाकर खड़े हो गए,बेगम उठ खड़ी हुई और हँसती हुई बोली – ‘आइये मूर्खराज !’ Akbar Birbal Story in Hindi
- इसे भी पढ़े :- Bandar aur Magarmach ki kahani – मेरा कलेजा तो पेड़ पर टंगा है !
- इसे भी पढ़े :- Bagula aur Kekda ki kahani – चालाक बगुला भगत और केकड़ा की कहानी
बादशाह को बहुत बुरा लगा| लेकिन बेगम ने आज तक कभी भी बादशाह अकबर का इस तरह अपमान नही किया था| बादशाह अकबर यह भी जानते थे कि बेगम बुद्धिमती है,वे बिना कारण कभी भी ऐसी बात नही बोलेगी और वो भी बादशाह अकबर को| लेकिन बादशाह अब गहरी सोच में पड़ गये कि किस कारण से रानी ने उन्हें मूर्खराज कहा|
उन्होंने संकोचवश बेगम से पूछना अच्छा नही समझा| थोड़ी वह वहीं रुककर वहां से चले गए|
बादशाह उदास बैठे थे| उसी समय वहां बीरबल आ पहुँचे | बादशाह ने जैसे ही बीरबल को देखा तो देखते हुए बीरबल से कहने लगे – ‘आइये मूर्खराज !’
जवाब में बीरबल ने भी हंस कर उत्तर दिया – ‘जी मूर्खराज !’
बादशाह को एक बार फिर से मूर्खराज सुनकर क्रोध आ गया और वह आँख चढ़ाकर बीरबल से बोले – ‘बीरबल ! Akbar Birbal Story in Hindi तुम मुझे मुर्ख क्यों कह रहे हो?’
बीरबल ने कहा- ‘मनुष्य पांच प्रकार से मुर्ख कहलाता है यदि दो व्यक्ति अकेले बात कर रहे हो और कपि तीसरा वहाँ बिना बुलाये या बिना सूचना दिए आ जाये और खड़ा हो जाए तो उसे मुर्ख कहा जाता है|
दो व्यक्ति आपस में बातचीत कर रहे हो और कोई तीसरा व्यक्ति बीच में पडकर बिना सोचे समझे बोलने लगे तो वह भी मुर्ख होता है| कोई स्वयं कुछ कह रहा हो और उसकी पूरी बात सुने बिना ही कोई बीच में बोल पड़े उसे भी मुर्ख समझा जाता है|
- इसे भी पढ़े :- Ekta Mein Bal Hai – एकता में बल है – Hindi Moral Stories
- इसे भी पढ़े :- Swachhata Bhi Jaruri Hai – स्वच्छता से जुडी एक शिक्षाप्रद कहानी जरुर पढ़े !
जो बिना अपराध और बिना दोष के दुसरो को गाली दे या फिर दुसरो पर दोष लगाए वह भी मुर्ख कहा जाता है| इसके अलावा जो मूर्खो के पास जाए और मूर्खो का संग करे वह भी मुर्ख ही होता है|’
बादशाह अकबर इन सभी उत्तर को पाकर बीरबल से बहुत प्रसन्न हुए और अब उन्हें रानी द्वारा खुद को मुर्ख कहने का कारण भी समझ आ चूका था कि रानी ने उन्हें क्यों मूर्खराज कहा था|इसलिए आपको भी इन बातो का ख्याल रखना चाहिए कि आपको भी कभी कोई मूर्खराज न कहे| Akbar Birbal Story in Hindi
शिक्षा :- हमे कभी भी दो व्यक्तियों के बीच में नही बोलना चाहिए|