Akbar Birbal Short Stories in hindi – अकबर बीरबल की मनोरंजक कहानियां

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Akbar Birbal Stories in hindi
Akbar Birbal Stories in hindi

दोस्तों क्या आपको भी कहानियां पढने का शौक है अगर हाँ तो आपके मनोरंजन  के लिए आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ अकबर बीरबल की कहानियां Akbar Birbal Stories in hindi तो अगर आप इन्टरनेट पर सर्च कर रहे है Akbar birbal stories in hindi, akbar birbal stories, akbar birbal short story तो अआप बिलकुल ठीक जगह आये है यहाँ मैं आपके साथ अकबर बीरबल की लघु कहानियां शेयर करने जा रहा हूँ|

अकबर और बीरबल की कहानियां तो विश्व प्रसिद्ध है और यह हर उम्र वर्ग की पसंद अहि इन कहानियो को पढना बच्चे,नौजवान और बूढ़े सभी पसंद करते है इन कहनियो से आपका मनोरंजन तो होता ही ई साथ ही साथ आपको अनेको प्रकार की सिख भी मिलती है जो सबसे अच्छी बात है तो चलिए जरा विस्तार से इन कहानियो के बारे में जानते है और बढ़ते है अपने आज के विषय की तरफ :-

शक का इलाज – Akbar Birbal Stories in Hindi,

एक दिन बीरबल और बादशाह में बहुत देर तक वार्तालाप कर रहे थे और इतनी देर तक वार्तालाप करने के बाद भी उस बीच कोई हँसीकी बात नहीं आई, जिस कारण बादशाह ने अपने मन में सोचा-“बीरबल स्वाभाविक बुद्धिमान नहीं है, बल्कि इधर उधर से कुछ लोगो द्वारा स्वयं की प्रशंसा सुन कर बुद्धिमान बन बैठा है।

एक स्वाभाविक बुद्धिमान व्यक्ति को इतने देर की वार्तालाप के बीच हास्यरस की कोई न कोई बात जरुर करनी चाहिए। अगर वह ऐसा करता तो मेरा मनोरंजन भी हो जाता। ऐसे मूर्ख को अपने पास रखने से कोई लाभ नहीं है।”

मनमें ऐसी धारणा बनाकर वह बीरबल से बोले -“बीरबल ! आज मुझे तुम्हारी बुद्धि की थाह लग गई।”

बीरबल उड़ती चिड़िया का दुम पहचानने वाला व्यक्ति था । इतने सुनते ही बीरबल समझ गया कि बादशाह मनोरंजन चाहते है जो उसको अभी तक नहीं मिला। बादशाह की बात काटकर बीरबल बोले  -“जहाँपनाह ! अब मेरे शरीर में आपको बुद्धिका लेशमात्र भी नहीं दिखाई पड़ेगा, आप उसे अब नही देख सकेंगे। मेरी बुद्धिका निवास स्थान तो एकमात्र मेरा दिमाग है। यदि आप उसे देखने के लिए व्याकुल हो रहे हो तो आपकी इच्छा जरुर पूरी हो जाएगी, केवल आप पहले सा पागल बन जाइये ।

इतना सुनते ही बादशाह को अपने भ्रम का निवारण हो गया, वे संगति के प्रभाव से बहुत कुछ सुधर गये थे। वह उसके प्रति दुर्बुद्धि का प्रयोग करना उचित न समझ कर चुप हो गये। इसी लिए कहा गया है कि अच्छी संगत से अच्छी और बुरी संगत से बुरी बुद्धि उत्पन्न होती है।

बीरबल गाय राँधत

बादशाह को हँसी मजाक से बड़ा प्रेम था, इसी कारण बात बात में बादशाह और बीरबल में हँसी मजाक हो जाया करती थी । हँसी हँसी में अक्सर बादशाह क्रुद्ध भी हो जाते थे, परन्तु बीरबल कभी क्रोधित नहीं होते थे। इस बात को मन में विचार कर बादशाह ने बीरबल को क्रोधित करने की एक नई युक्ति निकाली।

वह बोले -“बीरबल गाय राँधत” तब उत्तर में बीरबल ने कहा-‘बादशाह शूकर राँधत।” बीरबल तो बादशाह के मुंह से यह पहेली के निकलते ही उसका अर्थ समझ कर क्रोधित न हुआ, परन्तु बादशाह क्रोधित हो गए और बीरबल से बोले -“तुम मुझे मजाक के बहाने शूकर बुलाते हो।”

तब बीरबल बोले -“आप भी तो मुझको गाय बुलाते हैं।” बादशाह अपने कहने का अर्थ बतलाते हुए बोले -“मैं तो तुम्हें राधते वक्त गाने को कहा था।” जवाब सुनते ही बीरबल ने उत्तर दिया “जहाँपनाह ! भला मैं शूकर राधने को कब कहा था। मैं तो कह रहा था कि बादशाह शूकर रखाय । अर्थात आप (शुक) तोते की रखवाली करते हैं। आप बिना अर्थ समझे अकारण क्रोधित होते हैं।” बादशाह बीरबल का उत्तर सुनकर निरुत्तर हो गये ।

सबका ध्यान आपकी तरफ था – Akbar Birbal Short Stories

एक बार की बात है फारस का बादशाह बीरबल की बुद्धि की बड़ी प्रशंसा सुना करता था इसलिये उसे बीरबल को देखने की इच्छा हुई। उसने  अकबर के पास एक पत्र लिख कर भेजा उस में बीरबल को बुलाने की बात लिखी थी।

फारस का बादशाह ने अपने राजदूत के हाथो उस पत्र को भेजा राजदूत कई दिन की मंजिल तय कर दिल्ली पहुंचा और बादशाह को अदब से सलाम कर फारस के बादशाह का भेजा हुआ पत्र दिया। अकबर बादशाह पत्र पढ़कर बहुत खुश हुए और राजदूत को अपनी सराय में आराम करने की आज्ञा दी।

वहाँ उसके आराम की सभी वस्तुएं पर्याप्त थीं। दूसरे ही दिन बादशाह ने बड़े ठाटबाट के साथ बीरबल को फारस भेज दिया। बीरबल फारस पहुँचकर शहर के बाहर एक बाग में अपना डेरा खड़ा कराया और उस राजदूत को अपने आने की सूचना देने के लिए फारस के बादशाह के पास भेज दिया।

जब बादशाह ने सुना कि बीरबल Akbar Birbal Stories नगर के बाहर मेरे हुक्म की इन्तजार कर रहा है, तो उसने अपने समस्त कर्मचारियों को अपने ही सा वस्त्राभूषणों से सुसजित कर सब को दरबार में बैठा दिया और बीरबल को आने की आज्ञा दी। राजदूत से बादशाह के बुलावे का पत्र पाकर बीरबल राजभवन में उस से मिलने आए ।

वहाँ की अजीब हालत थी, सब लोग एक ही तरह की पोशाक पहने हुए बैठे थे। बीरबल एक तरफ से सबको लक्ष करता हुआ धीरे धीरे बादशाह के पास जा पहुँचा और उसे अदब से सलाम कर उसके समीप आकर बैठ गया।

बादशाह फारस ने पहले उसकी बड़ी आवभगत की उसके पश्चात् उससे पूछा-“बीरबल! तुमको कैसे मालूम हुआ कि मैं ही फारस का बादशाह हूँ।” बीरबल ने उत्तर दिया-‘बादशाह ! आपका दृष्टि कोण सब पर था और सबका ध्यान आप पर था। इससे मैंने आपको बिना परिश्रम ही आसानी से पहचान लिया।”

बीरबल का उत्तर सुनकर फारस का बादशाह बहुत प्रसन्न हुआ और उसकी बुद्धिमानी की तारीफ की और बीरबल को अनेको भेट दी|

सच्चे झूठे का भेद

बादशाह और बीरबल में वार्तालाप हो रही थी,इसी के बीच बादशाह ने बीरबल से सच्चे और झूठे का भेद पूछा। बीरबल ने उत्तर दिया-“जहाँपनाह ! इन दोनों के मध्य उतना ही भेद है जितना कि आँख और कानों में है।”

बादशाह की समझ वहाँ तक न पहुँच सकी जिसके चलते बादशाह ने बीरबल से फिर पूछा-“क्यों, ऐसाक्यों और कैसे होता है ?” बीरबल ने उत्तर दिया-“बादशाह सलामत ! सुनिये, जो बात आँखों देखी रहती है वह तो सञ्ची और जो कान से सुनी जाती है वह झूठी।”

बादशाह बीरबल के युक्तिसंगत और तर्कपूर्ण उत्तर से सन्तुष्ट हो गया। उसे अब अपने प्रश्न का सटीक उत्तर मिल गया था|

सौवाँ अंश – Akbar Birbal Short Stories

एक दिन बादशाह दरबार के कामों से निपटकर संध्या समय आराम बाग में बीरबल से मनोरंजन की बातें कर रहे थे। इसी बीच उन्होंने पूछा-“बीरबल! तुम अनेकों बार अपनी स्त्री के हाथ से हाथ मिलाया होगा, क्या तुम बतला सकते हो, उसके हाथ में कितनी चूड़ियाँ हैं ?”

बीरबल ने उत्तर दिया-“जहाँपनाह ! इधर बहुत दिनों से मुझे अपनी बीबी के हाथ से हाथ मिलाने का सुअवसर नहीं मिला फिर भी मैं विश्वास के साथ कहने को तैयार हूँ कि आप जिस दाढ़ी पर अपना हाथ नित्य फेरते और उसे देखा करते हैं उसके सौवें हिस्सेके बराबर मेरी स्त्री के हाथ में चूड़ियाँ हैं यदि आपको विश्वास न हो तो आप अपनी दाढ़ी के बालो को गिनकर अपनी शंका का समाधान कर लें।”

बादशाह बीरबल की तर्कपूर्ण बाते सुनकर चुप हो गये उन्हें उनके प्रश्न का उत्तर मिल चूका था|

आधी दूर धुप आधी दूर छाया – Akbar Birbal Stories in hindi

 एक दिन की बात है कि बादशाह बीरबल पर खफा होकर उसको अपने नगर से बाहर निकाल दिया। बीरबल हर हालत में खुश रहने वाला था, वह नगर से बाहर किसी ग्राम में जा बसा। इस प्रकार वहाँ रहते रहते उसे कई महीने बीत गये न बादशाह ने उसे बुलवाया और न वह स्वयं आया।

समय समय पर बादशाह बीरबल को याद कर बड़ी चिन्ता करते थे, परन्तु उसका कहीं पता ठिकाना न मिलने के कारण लाचार थे। जब किसी प्रकार बीरबल का पता न चला तो ढूढ़ने के लिये उन्होंने बहुत से कर्मचारियों को गाँवों में भेजा, फिर भी बीरबल का कोई पता न चल सका।

तब बादशाह ने बीरबल को ढूढ़ने की एक नई तरकीब निकाली। नगर नगर में ढिढोरा फिरवा दिया कि जो शक्स -“आधी दूर धूप और आधी दूर छाया” में होकर मेरे पास आएगा उसे एक हजार रुपये पारितोषिक दिये जायेंगे।”

बहुतो ने पारितोषिक पाने की चेष्ठा की, परन्तु किसी के दिमाग में “आधी दूर धूप आधी दूर छायामें होकर आने की युक्ति न सूझी। यह बात  फैलते फैलते बीरबल के कान में पहुँचीवह अपने पड़ोस के एक बढ़ई को बुलाकर बोला-“तुम एक चारपाई अपने मस्तक पर रखकर बादशाह के पास जाओ और कहो कि में-“आधी दूर धूप आधी दूर छाया” में होकर आपके पास आया हूँ अतएव मुझे पारितोषिक मिलनी चाहिये।”  Akbar Birbal Short Stories in hindi

बढ़ई बीरबल को पहचानता था इसलिये उसकी बात मान कर चारपाई सिर पर लेकर बादशाह के पास जा पहुँचा और बोला- “लीजिये महाराज ! मैं आधी दूर धुप और आधी दूर छाया में आपके सामने उपस्थित हूँ|” एक हजार का पुरुस्कार देने से पहले बादशाह अकबर ने उससे पूछा मैं तुमसे जो भी सवाल पूछूँगा तुम उसका सही सही उत्तर दोगे|

बढई बादशाह की बात सुनकर कुछ घबरा गया लेकिन साहस बांध कर बोला- “जैसी आपकी आज्ञा जहाँपनाह |” तब बादशाह ने उससे कहा  तुम मुझे यह बता दो कि तुम्हे यह युक्ति किसने बतलाई अगर तुम मुझे सच बता दोगे तो मैं तुम्हे पांच सौ पारितोषिक अलग से दूंगा लेकिन नही बताओगे तो तुम्हे आजीवन कारावास में डाल दूंगा|

 इस बात को सुनकर बढ़ई चिंता में आ गया और बोला- “महाराज ! मै सब सचसच बतलाना हूँ, कि मुझे यह सलाह किसने दी है।

बढ़ई बोला-“जहाँपनाह ! एक ब्राह्मण कुछ दिनों से हमारे ग्राम में आ बसा है, उसे लोग बीरबल के नाम से पुकारते है, उसी की सलाह पर मैंने यह कार्य किया है। बादशाह बढ़ई से बीरबल का नाम सुनकर बड़ा प्रसन्न हुआ और उसको एक हजार रुपये के साथ पांच सौ रुपये पारितोषिक के तौर पर देकर विदा किया। उसके साथ अपना दो कर्मचारी बीरबल को लाने के लिये परवाने के साथ भेजा। इतने यत्न के पश्चात् बीरबल फिर बादशाह के हाथ लगा।

आखिरी शब्द :- 

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