दोस्तों कहते है सरलता और शांत स्वभाव से आप किसी भी व्यक्ति का दिल जीत सकते है 2 Kisano Ki kahani in Hindi – दो किसानो की कहानी जो आज की हमारी कहानी का शीर्षक है और आज की हमारी कहानी भी कुछ इसी बात पर आधारित है।
कहानी में एक किसान बड़े ही अभिमान और घमंड स्वभाव का होता ही लेकिन दूसरी तरफ दूसरा किसान बिलकुल सरल और शांत स्वभाव का होता है लेकिन सरल स्वभाव वाले किसान ने ऐसा क्या किया की अभिमानी और घमंडी किसान भी उसकी बात मानने लगता है और उसकी ही तरह सरल और शांत स्वभाव का हो जाता है । 2 Kisano Ki kahani in Hindi
2 Kisano Ki kahani in Hindi – दो किसानो की कहानी
एक गाँव में एक किसान रहता था । उसका नाम था शेर सिंह । शेर सिंह शेर – जैसा भयंकर और अभिमानी था । वह थोड़ी – सी बात पर बिगड़कर लड़ाई कर लेता था । गाँव के लोगों से सीधे मुँह बात नहीं करता था । न तो वह किसी के घर जाता था और न रास्ते में मिलने पर किसी को प्रणाम करता था ।
गाँव के अन्य किसान भी उसे अहंकारी समझकर उससे नहीं बोलते थे । उसी गाँव में एक दयाराम नाम का किसान आकर बस गया । वह बहुत सीधा और भला आदमी था । सबसे नम्रता से बोलता था । सबकी कुछ – न – कुछ सहायता किया करता था । 2 Kisano Ki kahani in Hindi
सभी किसान उसका आदर करते थे और अपने कामों में उससे सलाह लिया करते थे । गाँव के किसानों ने दयाराम से कहा – ‘ भाई दयाराम ! तुम कभी शेर सिंह के घर मत जाना । उससे दूर ही रहना । वह बहुत झगड़ालू है ।
दयाराम ने हँस कर कहा- ‘ शेर सिंह ने मुझसे झगड़ा किया तो मैं उसे मार ही डालूँगा । दूसरे किसान उसकी बात सुनकर हँस पड़े । वे जानते थे कि दयाराम बहुत दयालु है । वह किसी को मारना दूर , किसी को गाली तक नहीं दे सकता । लेकिन यह बात किसी ने शेर सिंह से कह दी ।
शेर सिंह क्रोध से लाल हो गया । वह उसी दिन से दयाराम से झगड़ने की चेष्टा करने लगा । उसने दयाराम के खेत में अपने बैल छोड़ दिये । 2 Kisano Ki kahani in Hindi बैल बहुत – सा खेत चर गये ; किंतु दयाराम उन्हें चुपचाप खेत से हाँक दिया । शेर सिंह ने दयाराम के खेत में जाने वाली पानी की नाली तोड़ दी । पानी बहने लगा । दयाराम ने आकर चुपचाप नाली बाँध दी ।
इसी प्रकार शेर सिंह बराबर दयाराम की हानि करता रहा ; किंतु दयाराम ने एक बार भी उसे झगड़ने का अवसर नहीं दिया ।
एक दिन दयाराम के यहाँ उनके सम्बन्धी ने लखनऊ के मीठे खरबूजे भेजे । दयाराम ने सभी किसानों के घर एक – एक खरबूजा भेज दिया ; लेकिन शेर सिंह ने उसका खरबूजा यह कहकर लोटा दिया कि ‘ मैं भिखमंगा नहीं हूँ । मैं दूसरों का दान नहीं लेता ।
धीरे धीरे कुछ महीने बीत गये बरसात का मौसम आ गया ।
एक दिन शेर सिंह अपनी गाड़ी में अनाज भरकर दूसरे गाँव से आ रहा था । 2 Kisano Ki kahani in Hindi रास्ते में एक नाले के कीचड़ में उसकी गाड़ी फँस गयी । शेर सिंह के बैल दुबले थे । वे गाड़ी को कीचड़ में से निकाल नहीं सके ।
जब गाँव में इस बात की खबर पहुँची तो सब लोग बोले- ‘ शेर सिंह बड़ा दुष्ट है । उसे रात भर नाले में पड़े रहने दो । ‘ लेकिन दयाराम ने अपने बलवान् बैल पकड़े और नाले की ओर चल पड़ा ।
लोगों ने उसे रोका और कहा – ‘ दयाराम ! शेर सिंह ने तुम्हारी बहुत हानि की है । तुम तो कहते थे कि मुझसे लड़ेगा तो उसे मार ही डालूँगा । फिर तुम आज उसकी सहायता करने क्यों जाते हो ? ”
दयाराम बोला— ‘ मैं आज सचमुच उसे मार डालूँगा । तुम लोग सबेरे उसे देखना ।’
2 Kisano Ki kahani in Hindi ‘ जब शेर सिंह ने दयाराम को बैल लेकर आते देखा तो गर्व से बोला – ‘ तुम अपने बैल लेकर लौट जाओ । मुझे किसी की सहायता नहीं चाहिये ।
” दयाराम ने कहा – ‘ तुम्हारे मन में आवे तो गाली दो , मन में आवे मुझे मारो, इस समय तुम संकट में हो । तुम्हारी गाड़ी फँसी है और रात होने वाली है । मैं तुम्हारी बात इस समय नहीं मान सकता ।
दयाराम ने शेर सिंह के बैलों को खोलकर अपने बैलगाड़ी में जोत दिये । उसके बलवान् बैलों ने गाड़ी को खींचकर नाले से बाहर कर दिया । शेर सिंह गाड़ी लेकर घर आ गया ।
उसका दुष्ट स्वभाव उसी दिन से बदल गया । वह कहता था- -‘दयाराम ने अपने उपकार के द्वारा मुझे मार ही दिया । अब मैं वह अहंकारी शेर सिंह कहाँ रहा ।
‘ अब वह सबसे नम्रता और प्रेम का व्यवहार करने लगा । बुराई को भलाई से जीतना ही सच्ची जीत है । दयाराम ने सच्ची जीत पायी । 2 Kisano Ki kahani in Hindi
[…] […]